
Heartbreaking Crime Chronicle: राजस्थान के नागौर जिले में एक दर्दनाक प्रेमकथा का अंत हुआ, जिसमें एक युवती ने अपने प्रेमी की हत्या के 13 दिन बाद फांसी लगाकर जान दे दी। यह घटना न सिर्फ प्रेम और समाज के टकराव की कहानी है, बल्कि यह सवाल भी खड़ा करती है कि क्या आज भी अपनी मर्ज़ी से जीने की कीमत किसी को जान देकर चुकानी पड़ती है?
मामला नागौर के रोल थाना क्षेत्र के रातंगा गांव का है, जहां करिश्मा नाम की युवती ने गुरुवार तड़के 4 बजे अपने प्रेमी सहदेवराम भाकर के घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। पुलिस को घटनास्थल से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है, लेकिन करिश्मा के पिछले बयानों और घटनाक्रम से यह स्पष्ट है कि वह प्रेमी की हत्या के बाद गंभीर अवसाद में थी।
करिश्मा ने समाज की परंपराओं को चुनौती देकर बाल विवाह ठुकराया और नर्सिंग टीचर सहदेव भाकर से लिव-इन रिलेशनशिप में रहने का फैसला किया। हालांकि सहदेव पहले से शादीशुदा था, लेकिन उसका तलाक कोर्ट में विचाराधीन था। दोनों ने फैसला किया था कि तलाक के निर्णय तक वे लिव-इन में ही साथ रहेंगे।
यह फैसला करिश्मा के पीहर वालों को नागवार गुजरा। प्रेम विवाह को स्वीकार नहीं करने वाले उसके परिजनों ने 13 जून को अजमेर से सहदेव को अगवा कर लिया। अगले दिन उसकी लाश जायल थाना क्षेत्र के तेजासर गांव के एक खेत में मिली।
सहदेव की हत्या के बाद करिश्मा ने सार्वजनिक रूप से अपने चाचा, पिता और अन्य रिश्तेदारों के खिलाफ आवाज उठाई थी। उसने मांग की थी कि उसके प्रेमी की हत्या के दोषियों को फांसी की सजा दी जाए। इस मामले में करिश्मा के चाचा रामकिशोर, ओमप्रकाश और कुन्नाराम को गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन उसके पिता, बहन और बहनोई अब भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं।
गुरुवार तड़के करीब 4 बजे करिश्मा ने फांसी लगाकर जान दे दी। उसका शव प्रेमी सहदेव के घर में फंदे से लटका मिला। मौके पर कोई सुसाइड नोट नहीं मिला, लेकिन परिजन व पुलिस मान रही है कि यह आत्महत्या प्रेमी की हत्या से उपजे गहरे मानसिक आघात का परिणाम है।
“करिश्मा प्रेमी की हत्या के बाद से मानसिक रूप से बुरी तरह टूट चुकी थी। उसने आत्महत्या कर ली। मामले की जांच एसडीएम स्तर पर की जा रही है।”— राधाकृष्ण मीणा, थानाधिकारी, रोल थाना।
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