
new rule of rajasthan police : राजस्थान पुलिस अब संपत्ति विवाद और आर्थिक लेन-देन के मामलों में बिना एसपी की अनुमति के न तो गिरफ्तारी करेगी और न ही सीधे पूरे बैंक खाते को फ्रीज किया जाएगा। यह नई व्यवस्था कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक डॉ. रवि प्रकाश मेहरड़ा के निर्देश पर लागू की गई है, जिसका मकसद है—पुलिस कार्रवाई में पारदर्शिता और पीड़ितों को अनावश्यक परेशानी से बचाना। 14 दिन में प्राथमिक जांच जरूरी
सिविल स्वरूप के मामलों में अगर कोई संज्ञेय अपराध साफ तौर पर सामने नहीं आता है, तो पुलिस को पहले 14 दिन के भीतर प्राथमिक जांच करनी होगी। इसके बाद ही एफआईआर दर्ज करने पर विचार किया जाएगा। इस रिपोर्ट के आधार पर वृत्ताधिकारी (DSP) की अनुशंसा और एसपी की अंतिम स्वीकृति के बाद ही कोई कठोर कदम उठाया जा सकेगा।
सिर्फ विवादित राशि ही होल्ड होगी यदि किसी बैंक खाते से संबंधित लेन-देन पर विवाद है, तो अब पूरा खाता फ्रीज करने के बजाय सिर्फ विवादित राशि को होल्ड किया जाएगा। इससे खाताधारक अन्य जरूरी लेन-देन जारी रख सकेगा और आमजन को राहत मिलेगी।
अगर जांच में सामने आता है कि अचल संपत्ति के लेन-देन में दो लाख रुपए या अधिक नकद भुगतान हुआ है, तो इसकी जानकारी आयकर विभाग के नोडल अधिकारी को दी जाएगी। यह सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार अनिवार्य होगा।
अगर मामला न्यायालय या किसी राजस्व प्राधिकरण में विचाराधीन हो प्रोमिसरी नोट, अनुबंध या विशेष अनुतोष अधिनियम जैसे विवाद तीन से सात वर्ष तक की सजा योग्य अपराध, जहां संज्ञेय अपराध की पुष्टि न हो
भीलवाड़ा एसपी धर्मेंद्र सिंह यादव ने कहा, "नई व्यवस्था से पुलिस की कार्यप्रणाली अधिक जिम्मेदार और पारदर्शी बनेगी। पीड़ितों को भी अनावश्यक मानसिक और आर्थिक तनाव से राहत मिलेगी।"
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