इतनी छोटी सी उम्र में दीक्षा ग्रहण करने से पहले उसके परिवार वालों ने उसे रोका भी लेकिन उसने एक भी नहीं सुनी और अब नेहा साध्वी बन चुकी है। इसके अलावा राजस्थान की करीब 4 अन्य युवतियां भी छोटी उम्र में साध्वी बनी है। इस बारे में साध्वी नेहा का मानना है कि जीवन का अंतिम चार वैराग्य ही है इसे छोटी उम्र में अपना लेना ही सही है।