राजस्थान में चल रहे डॉक्टरों के आंदोलन के बीच सुखद किस्सा सामने आया है। जिन पुलिसकर्मियों ने डॉक्टर के साथ मारपीट की थी अब उसी डॉक्टर ने आधे घंटे सीपीआर देकर पुलिसकर्मी की जान बचाई है। उठते ही कांस्टेबल बोला-डॉक्टर नहीं होते तो मर ही जाता।
जयपर. राजस्थान में राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में डॉक्टर्स पिछले 3 दिनों से जयपुर में सड़कों पर डटे हुए हैं। इस दौरान तीन बार तो पुलिस और डॉक्टरों के बीच हाथापाई और मारपीट जैसी घटना भी सामने आई है। लेकिन यही डॉक्टर से जयपुर में एक पुलिस कॉन्स्टेबल के लिए देवदूत बनकर आए हैं। यदि डॉक्टर समय पर इलाज नहीं करता तो कांस्टेबल की मौत हो जाती। डॉक्टर ने करीब आधे घंटे तक सीपीआर देकर कॉन्स्टेबल की जान बचाई है।
ऐसे डॉक्टर पुलिसवाले के लिए बन गया भगवान
दरअसल जयपुर के स्टेचू सर्किल पर मौजूद डॉक्टर को खदेड़ने के लिए उन पर वाटर कैनन से पानी छोड़ा गया। इसी दौरान एक पुलिस कांस्टेबल को अचानक हार्ट अटैक आ गया। इसी दौरान वहां मौजूद डॉक्टर पुष्पेंद्र गर्ग ने यह सब कुछ होते देख लिया। डॉक्टर तुरंत भीड़ से अलग हुए और वहां खड़ी एक एंबुलेंस को अपने पास बुला कर कॉन्स्टेबल को उस में डालकर अपने हॉस्पिटल ले गए। हॉस्पिटल बंद रहने के चलते वहां स्टाफ भी मौजूद नहीं था। ऐसे में उन्होंने अपने स्तर पर ही इलाज करना शुरू कर दिया। पहले तो कॉन्स्टेबल के इलाज के लिए उस पर मशीन भी लगाई लेकिन जब कुछ नहीं बैठा तो उन्होंने फिर कॉन्स्टेबल को सीपीआर देना शुरू कर दिया।
पुलिसवाला बोला-डॉक्टर नहीं होते तो मैं मर ही जाता
कॉन्स्टेबल लगभग मौत के मुंह में जा चुका था। लेकिन डॉ पुष्पेंद्र उसे सीपीआर देते रहे। नतीजा यह निकला कि कॉन्स्टेबल की नब्ज़ धीरे धीरे चलने लगी। इसके बाद डॉक्टर ने तुरंत उसे ऑपरेट किया और फिर उसकी ब्लॉक हुई आर्टरी खोल दी। करीब 12 घंटे बाद उस कॉन्स्टेबल को होश आया तो उसके अधिकारी उससे मिलने के लिए वहां पहुंचे। तो उन्होंने डॉक्टर का आभार जताया। कॉन्स्टेबल का कहना है कि यदि आज डॉक्टर पुष्पेंद्र नहीं होते तो उनका परिवार का पालन पोषण करने की भी नौबत आ जाती।