
अजमेर. हनुमानाराम चौधरी....। सिक्किम में तैनात थे, तीन अक्टूबर को जब वहां बादल फटा तो अपने तीस से ज्यादा साथियों के साथ वे भी बह गए। उनका शव बीस अक्टूबर को मिला है और अब आज उनकी पार्थिव देह उनक गांव पहुंचाई गई है और उनका अंतिम संस्कार किया गया है। हनुमानाराम का शव हादसा स्थल से करीब 130 किलोमीटर की दूरी पर 20 अक्टूबर को मिला था। उसके बाद शव को उनके गांव भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी।
परिवार में कोहराम मचा...बेटी को नहीं पता पापा कहां गए...
अजमेर के किशनगढ़ इलाके में स्थित उनके गांव में आज देश भक्ति गीत गूंज रहे हैं। परिवार में कोहराम मचा हुआ है। पत्नी लीला बार बार बेहोश हो रही है। पांच साल का बेटा यश चौधरी समझ तो रहा है कि कुछ बड़ा घटित हुआ है, लेकिन वह यह समझ नहीं पा रहा है कि उसके पिता अब इस दुनिया में नहीं है। एक साल की बेटी दीक्षिता को तो इस बारे में जरा भी जानकारी नहीं है।
सिक्किम की बाढ़ में बह गए थे 4 भाई
हनुमानाराम के पिता सुंडाराम को बेटे के बारे में जानकारी है। उनका छोटा भाई परिवार के साथ ही रहता है और गांव में खेती करता है। सिक्किम में आई इस बाढ़ में उस समय राजस्थान के चार फौजी बह गए थे। तीन के शव तो उनके गांव पहुंचा दिए गए थे। इस घटना के बाद से ही सेना का रेस्क्यू मिशन जारी है जो अभी तक चल रहा है। हनुमानाराम बारडांग में स्थित एफडी अस्पताल में तैनात थे। उस समय वहां बादल फटा था और भारी नुकसान हुआ था। जिस दिन वे लापता हुए थे उसी दिन से उनकी सलामती के लिए पूजा पाठ चल रहे थे। लेकिन कुछ काम नहीं आ सका।
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