
कोटा (राजस्थान). कहते हैं कि सच्ची मेहनत और मजबूत इरादे किसी भी मुश्किल हालात में इंसान को आगे बढ़ने की ताकत देते हैं। ऐसा ही कुछ कर दिखाया राजस्थान के कोटा निवासी आयशा ने। अपने पिता के इंतकाल के महज तीन दिन बाद, आयशा ने उड़ीसा (भुवनेश्वर) में आयोजित 39वीं नेशनल जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप - 2024 के 200 मीटर रेस में सिल्वर मेडल जीतकर न केवल राजस्थान बल्कि पूरे देश को गौरवान्वित किया है।
आयशा के पिता, मरहूम अब्दुल रहीम का निधन टायर फटने से हुए हादसे में हो गया। पिता के चले जाने का गम सीने में दबाए, आयशा ने अपनी भावनाओं को अपनी दौड़ की ताकत में बदल दिया। अपनी लगन और समर्पण के जरिए, उन्होंने अपने पिता को सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित की। मां ने बेटी को उसका जुनून याद दिलाया और बेटी अपने पिता को श्रद्धांजलि देने में जुट गई।
आयशा ने इस जीत से साबित कर दिया कि परिस्थितियां चाहे कितनी भी कठिन क्यों न हों, अगर हौसला बुलंद हो तो कोई भी मंजिल पाई जा सकती है। सिल्वर मेडल जीतने के बाद आयशा ने कहा, "यह मेडल मेरे पिता के नाम है। उन्होंने हमेशा मुझे अपने सपनों का पीछा करने और कभी हार न मानने की सीख दी।"
परिवार के लोगों ने कहा कि आयशा की यह उपलब्धि उन सभी लड़कियों और युवाओं के लिए प्रेरणा है जो कठिनाइयों का सामना करते हुए अपने सपनों को पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं। उनकी कहानी न केवल मेहनत का महत्व बताती है, बल्कि यह भी सिखाती है कि विपरीत परिस्थितियों में भी कैसे सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ा जा सकता है। परिवार ने कहा कि सिर्फ कोटा ही नहीं पूरे राजस्थान को आयशा की सफलता पर गर्व जताया है। हर कोई उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना कर रहा है। उनके पिता की याद और उनकी मेहनत ने उन्हें हर कदम पर मजबूती दी।
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