मौत जानकर जिसका घरवालों ने कर दिया उठावना, वो अयोध्या से लौट आया जिंदा

अयोध्या कार सेवा में गए एक युवक की मौत जानकर घरवालों ने मृत्यु के बाद होने वाले संस्कार शुरू कर दिए थे। यहां तक की उसका उठावना भी कर दिया था। लेकिन वह जिंदा लौट आया। ये देखकर घरवालों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा था।

जयपुर. राम जन्म भूमि मामले में राजस्थान से कई लोग कार सेवा में शामिल होने के लिए निकले थे। जिसमें राजस्थान के जयपुर के समीप स्थित गांव सांगानेर से भी कई लोग गए थे। इन्हीं में से एक गोविंद नारायण भी थे। जिन्हें परिजनों ने कारसेवा में जाने के बाद आई एक खबर के कारण मृत मानकर उनके निमित्त कार्यक्रम करने शुरू कर दिए थे। लेकिन इसी बीच उनके जिंदा होने की खबर आई तो सब खुश हो गए थे।

22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा

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22 जनवरी को भगवान राम के मंदिर में मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है। इससे पहले हर कस्बे शहर में चर्चा है भगवान राम और उनके कारसेवकों की। राजधानी जयपुर से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित फागी कस्बे के रहने वाले गोविंद नारायण चौहान भी कारसेवा करने के लिए सांगानेर से 37 अन्य साथियों के साथ रवाना हो।

पैरों में पड़ गए थे छाले

1990 में यह लोग जब ट्रेन के जरिए उत्तर प्रदेश की तरफ पहुंचे तो वहां इन्हें रोक लिया गया। ऐसे में गोविंद और उनके चार-पांच साथी लखनऊ के खेतों के रास्ते चलते-चलते एक दो दिनों में सरयू नदी के तट पर पहुंचे। लेकिन यहां उनके पैरों में छाले पड़ गए और खून निकलना शुरू हो गया। वहां के स्थानीय शख्स ने ही उनका इलाज किया।

कारसेवकों पर बरसाई थी लाठियां

2 नवंबर को हिंदू नेता उमा भारती ने ऐलान किया कि बिना हथियार के रामलीला की जन्म भूमि स्थल पर पहुंचेंगे। लेकिन बीच रास्ते ही सबको रोक लिया गया। ऐसे में हजारों सेवक सड़कों पर ही बैठ गए। जिन पर लाठियां बरसाने का काम भी किया गया। और गोली मारने की भी चेतावनी दी गई।

कई लोगों को मार दी गोलियां

कुछ देर बाद ही गोलीबारी शुरू हुई जिसमें गोविंदा के साथी महेंद्र को गोली मार दी गई और गोविंद बेसुध हो गए। जिन्हें इलाज के लिए ले जाया गया। उसे दौरान उनकी 14 टांके लगे थे। इसके बाद अखबार में गलती से एक समाचार छप गया कि राजस्थान के पांच कारसेवक को गोली लगी है।

मौत जानकर घरवालों ने किया संस्कार शुरू

जब यह खबर घरवालों ने देखी तो उन्हें लगा कि गोविंदा की तो अब मौत हो चुकी है। ऐसे में उन्होंने घर पर सारे रीति रिवाज करना शुरू कर दिए। यहां तक कि उनके नाम की तीये की बैठक भी कर दी गई। लेकिन बाद में पता चला कि वह अस्पताल में भर्ती है। इसके बाद उन्हें ट्रेन के जरिए राजस्थान भेजा गया।

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