बारां के ये टीचर पति पत्नी बड़े खतरनाक: कारनामा जान इनकी मुस्कुराहट और सादगी भूल जाएंगे

Published : Aug 30, 2025, 12:21 PM IST
baran news government teacher

सार

Baran News : राजस्थान के बांरा जिले के एक स्कूल से ऐसा खुलासा हुआ है जिसे जानकर पूरा शिक्षा विभाग ही नहीं सरकार तक शॉक्ड है। यक कारनामा सरकारी शिक्षक पति पत्नी ने किया है। जिन्होंने बिना पढ़ाए 9 करोड़ से ज्यादा का वेतन लिया है।

Rajasthan Education Department News : बारां जिले से शिक्षा व्यवस्था को हिला देने वाला मामला सामने आया है। यहां राजपुर प्राइमरी स्कूल में पदस्थ एक शिक्षक दंपती पर आरोप है कि उन्होंने बीते दो दशकों तक खुद क्लासरूम में पढ़ाने की बजाय डमी शिक्षकों से बच्चों को पढ़वाया और सरकार से मोटा वेतन उठाते रहे। अब शिक्षा विभाग ने इस लापरवाही और भ्रष्टाचार पर बड़ी कार्रवाई करते हुए दोनों से करीब 9.30 करोड़ रुपये की रिकवरी का नोटिस जारी किया है।

पीडीआर एक्ट के तहत कार्रवाई जिला शिक्षा अधिकारी सीताराम गोयल ने बताया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए रिकवरी प्रक्रिया पीडीआर एक्ट के तहत की जा रही है। विभाग ने कई बार नोटिस भेजे, लेकिन आरोपी दंपती द्वारा राशि जमा नहीं करवाने पर अब सार्वजनिक नोटिस जारी करना पड़ा।

आरोपित शिक्षक विष्णु गर्ग ने वर्ष 1997-98 से लेकर 2023-24 तक वेतन प्राप्त किया, जिसमें करीब 84.72 लाख वेतन और 4.07 करोड़ ब्याज मिलाकर लगभग 4.92 करोड़ की रिकवरी तय की गई है। वहीं उनकी पत्नी मंजू गर्ग ने वर्ष 1999-2000 से 2023-24 तक वेतन लिया, जिसमें 82.48 लाख वेतन और 3.56 करोड़ ब्याज शामिल है। इस प्रकार उन पर 4.38 करोड़ रुपये की रिकवरी बनेगी। दोनों से मिलाकर कुल 9.30 करोड़ रुपये की वसूली की जाएगी।

पुलिस जांच में हुआ खुलासा यह मामला तब उजागर हुआ जब पुलिस ने स्कूल में छापा मारा। वहां तीन डमी शिक्षक पढ़ाते मिले। पूछताछ में सामने आया कि ये लोग पांच साल से यहां काम कर रहे थे और उन्हें मासिक 4 से 7 हजार रुपये दिए जाते थे। इस खुलासे के बाद शिक्षा विभाग ने भी जांच शुरू की और शिक्षक दंपती को निलंबित कर दिया।

तीन अधिकारी भी घेरे में सिर्फ शिक्षक दंपती ही नहीं, बल्कि विभागीय लापरवाही पर भी कार्रवाई हुई। शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के निर्देश पर तत्कालीन सीबीईओ, पीओ और स्कूल की एक शिक्षिका पर भी कार्रवाई की गई है।

सवालों के घेरे में शिक्षा व्यवस्था यह मामला इस बात का बड़ा उदाहरण है कि निगरानी की कमी किस तरह से सरकारी शिक्षा तंत्र को खोखला कर रही है। वर्षों तक बिना पढ़ाए वेतन उठाना केवल भ्रष्टाचार ही नहीं, बच्चों के भविष्य से भी खिलवाड़ है। अब देखना होगा कि वसूली प्रक्रिया कितनी तेजी से आगे बढ़ती है और क्या विभाग ऐसे मामलों पर स्थायी रोक लगाने के लिए कड़े कदम उठा पाता है।

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