बाड़मेर. राजस्थान के बाड़मेर जिले (barmer news) में सामाजिक बदलाव की एक मिसाल सामने आई है। यहां के लुंभावास गांव में रहने वाले सेजू परिवार ने एक ऐतिहासिक निर्णय (historical decision) लेते हुए सामूहिक रूप से देहदान का संकल्प लिया है। परिवार के 12 सदस्यों ने एक साथ राजकीय मेडिकल कॉलेज से संबद्ध जिला अस्पताल के अधीक्षक को देहदान के संकल्प पत्र सौंपे। इस प्रेरणादायक कदम (inspirational story) की पूरे जिले में सराहना की जा रही है।
यह पहला अवसर है जब एक ही परिवार की तीन पीढ़ियों ने एकमत होकर यह निर्णय लिया है। देहदान करने वालों में बुजुर्ग, युवा, पुरुष और महिलाएं सभी शामिल हैं। इस पहल के तहत परिवार के सबसे बुजुर्ग सदस्य 72 वर्षीय रतनाराम सेजू और वीरो देवी से लेकर 28 वर्षीय गुड्डी देवी तक ने अपने शरीर को मेडिकल रिसर्च और शिक्षा के लिए दान करने का संकल्प लिया है। परिवार ने बताया कि उनका उद्देश्य समाज में जागरूकता फैलाना और अन्य लोगों को भी इस दिशा में प्रेरित करना है।
यह परिवार पहले भी सामाजिक सुधार के विभिन्न कार्यों में सक्रिय रहा है। कुछ समय पूर्व इस परिवार ने मृत्यु भोज जैसी कुरीति के खिलाफ अभियान चलाया था, जिसका समाज में सकारात्मक प्रभाव पड़ा। अब देहदान की यह पहल भी समाज को नई दिशा देने वाली साबित हो सकती है। परिवार के वरिष्ठ सदस्य त्रिलोकाराम सेजू का कहना है कि मृत्यु के उपरांत शरीर को किसी नेक कार्य में उपयोग करना ही सच्ची मानव सेवा है।
परिवार के इस सामूहिक निर्णय से मेडिकल कॉलेजों में अध्ययनरत छात्रों को मानव शरीर के प्रायोगिक परीक्षण में सहायता मिलेगी। मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक डॉ. बीएल मंसुरिया ने कहा कि यह कदम चिकित्सा शिक्षा के लिए वरदान साबित होगा और सीमांत क्षेत्र में देहदान के प्रति जागरूकता बढ़ाने में मदद करेगा।
बाड़मेर जिले में सेजू परिवार का यह निर्णय निश्चित रूप से अन्य लोगों को भी प्रेरित करेगा। देहदान न केवल मेडिकल रिसर्च में सहायक होता है, बल्कि यह समाज के लिए एक अनमोल उपहार भी है। यदि अन्य परिवार भी इस दिशा में आगे आते हैं, तो भविष्य में चिकित्सा क्षेत्र में शोध और अनुसंधान को नया आयाम मिल सकता है।