
बीकानेर (राजस्थान). देश में मारवाडी नस्ल के घोड़े बेहद पंसद किए जाते रहे हैं। देश भर में लगने वाले पशु मेलों में भी घोडे़े और घोड़ियों की जमकर खरीद होती रही है। लेकिन अब बीमारियों और अन्य कारणों से इनकी संख्या कम होती जा रही है। कम संख्या के कारण पशु पालकों की चिंता बढ़ी तो राष्ट्रीय अश्व संस्थान तक सूचनाएं पहुंची और उन्होनें इसे सही करने का काम शुरू कर दिया। ग्यारह महीने से अश्व संस्थान के वैज्ञानिक जिसका इंतजार कर रहे थे आखिर वह पल पिछले दिनों आ ही गया। देश की पहली सेरोगेट मारवाड़ी घोड़ी मां ने 23 किलो के शिशु को जन्म दिया है।
ऐसा कारनामा करने वाला बीकानेर देश का पहला शहर
सेरोगेट तरीके से मां बनने वाली घोड़ी पूरी तरह से स्वस्थ है और उसकी मां भी पूरी तरह से सेहतमंद है। इस प्रक्रिया को लगभग उसी तरह से अंजाम दिया गया है जिस तरह से इंसानों में दिया जाता हैं। घोडी का जन्म अश्व उत्पादन परिसर बीकानेर में हुआ है। ऐसा कारनामा करने वाला बीकानेर देश का पहला संस्थान बन गया है।
इस नस्ल के घोड़े एक करोड़ में बिकते हैं...
इस प्रकिया से जुड़े डॉक्टर्स की टीम ने बताया कि यह पहली बार किया गया और सफल रहा। एक घोड़ी जो गर्भवती हुई, उसके साढ़े सात दिन के एग जिए गए और उन्हें पूरी सावधानी से मारवाड़ी घोड़ी में प्रवेश कराया गया। ग्यारह महीनों तक हर पहलू पर नजर रखी और आज 23 किलो की बच्ची के रूप में परिणाम सामने आ गए हैं। इसी तरह से दस और अश्वों में यह प्रक्रिया की जा रही है। बच्ची का नाम डॉक्टर्स और वैज्ञानिकों की टीम ने राज प्रथमा रखा है। इस सफल प्रयोग की सूचनाएं सार्वजनिक होने के बाद अब मारवाड़ी नस्ल के घोडों के कई मालिक डॉक्टर्स की टीम से संपर्क कर रहे हैं। मारवाड़ी नस्ल के अच्छे घोड़े एक करोड़ तक में बिकते हैं।
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