4 बहनों के इकलौते भाई को लील गया झालावाड़ स्कूल हादसा: चीखते हुए कह रहीं अब किसे राखी बांधेंगे

Published : Jul 27, 2025, 10:46 AM ISTUpdated : Jul 27, 2025, 11:18 AM IST
Jhalawar School Accident

सार

Jhalawar School Accident : झालावाड़ स्कूल हादसे ने पूरे राजस्थान को झकझोर दिया। इसी बीच चार बहनों का रो-रोकर बुरा हाल है। क्योंकि उनके इकलौते भाई की इस एक्सीडेंट में मौत जो हो गई। वे चीखते हुए कहती हैं कि अब रक्षाबंधन पर किसे राखी बांधेंगी। 

Jhalawar News : रक्षाबंधन से महज 15 दिन पहले, झालावाड़ जिले के मनोहर थाना उपखंड के पीपलोदी गांव में ऐसा दर्दनाक मंजर सामने आया, जिसने पूरे गांव को गहरे शोक में डुबो दिया। शुक्रवार को एक सरकारी स्कूल की जर्जर छत भरभराकर गिर पड़ी और पलभर में 7 मासूम बच्चों की जिंदगी खत्म हो गई। कई अन्य बच्चे गंभीर रूप से घायल हो गए। हादसे को दो दिन हो गए हैं, लेकिन पीड़ित परिवारों के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे। 

झालावाड़ हादसे की हृदयविदारक कहानी

इस हादसे ने हर मां-बाप की आंखों में खौफ और हर बहन के दिल में खालीपन भर दिया है। सबसे हृदयविदारक दृश्य उस समय सामने आया, जब कार्तिक (8 वर्ष) की बहनों ने उसकी अर्थी को देखा और चीख-चीख कर कहा—“अब किसको बांधेंगे राखी?” ये शब्द वहां मौजूद हर व्यक्ति की आंखों में आंसु आ गए। कार्तिक अपने माता-पिता का इकलौता बेटा था, चार बहनों का सबसे छोटा दुलारा।

सिसकती बहनों के बीच इकलौते भाई का अंतिम संस्कार

शनिवार सुबह जब गांव में शव पहुंचे तो सन्नाटा मातम में बदल गया। शोकाकुल परिजन, बेसुध मां-बाप और सिसकती बहनों के बीच अंतिम संस्कार की तैयारियां की गईं। एक ही चिता पर दो सगे भाई बहन कान्हा और मीना को मुखाग्नि दी गई। पांच चिताओं पर छह मासूमों को अंतिम विदाई दी गई। हवा में उठता धुआं मानो गांव की खुशियों को भी अपने साथ ले गया।

पूरे गांव में एक भी चूल्हा नहीं जला

हादसे वाले दिन पूरे गांव में एक भी चूल्हा नहीं जला। लोग एक दूसरे को चुपचाप गले लगा रहे थे। कई घरों में इकलौती संतान की मौत हुई है तो कुछ ने अपने दोनों बच्चे खो दिए हैं। जो कोई इन मां बाप और परिवार के आंसू और दर्द देखता है वह भी भावुक हो जाता है। 

छात्रा ने बयां की झालावाड़ स्कूल की हकीकत

गांव के लोगों का गुस्सा भी इस घटना के बाद फूट पड़ा है। स्थानीय लोगों ने बताया कि स्कूल की दीवारों पर लंबे समय से पेड़ उग रहे थे। छात्राएं वर्षा, राजकिरंता और रीना ने बताया कि उन्होंने कई बार शिक्षकों को खतरे से अवगत कराया था, लेकिन समस्या को टाल दिया गया। ग्रामीणों का आरोप है कि स्कूल भवन की मरम्मत केवल दिखावे के लिए की गई थी, न सरपंच ने ध्यान दिया, न प्रशासन ने।

आखिर कौन 7 मासूमों की मौत का जिम्मेदार?

इस हादसे ने एक बार फिर सरकारी लापरवाही की कीमत मासूम जानों से चुकवाई है। अब सवाल है कि क्या इन बच्चों की मौत के जिम्मेदारों पर कोई सख्त कार्रवाई होगी या फिर यह भी एक और लीपापोती बनकर रह जाएगा?

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