
बाड़मेर (राजस्थान). बाड़मेर जिले के नवो बाड़मेर अभियान को लेकर नगर परिषद की बोर्ड बैठक में सोमवार को जमकर विवाद हुआ। बैठक के दौरान बीजेपी और कांग्रेस के पार्षदों ने जिला कलेक्टर टीना डाबी पर गंभीर आरोप लगाए। पार्षदों का कहना था कि नवो बाड़मेर अभियान के तहत नगर परिषद को नजरअंदाज किया जा रहा है और शहर के विकास से जुड़ी योजनाओं में जनप्रतिनिधियों को कोई भूमिका नहीं दी जा रही है।
कांग्रेस और बीजेपी दोनों पक्षों के पार्षदों ने आरोप लगाया कि नगर परिषद के पार्षदों को शहर के विकास कार्यों से बाहर रखा जा रहा है। खासतौर पर कचरा संग्रहण के टेंडर में वित्तीय अनियमितताओं की बात सामने आई। पार्षदों का कहना था कि यह टेंडर पहले 6-7 लाख रुपये का हुआ करता था, लेकिन अब यह अचानक 30 लाख रुपये का कैसे हो गया? इस बढ़ी हुई रकम को लेकर बड़े घोटाले की आशंका जताई जा रही है और पार्षदों ने इसकी जांच की मांग की है।
इसके अलावा, नवो बाड़मेर अभियान के तहत शहर में सौंदर्यकरण के लिए भामाशाहों के साथ एमओयू किए गए हैं, जिनकी निगरानी भी जनप्रतिनिधियों द्वारा नहीं की जा रही। स्थानीय नेताओं का कहना है कि इन कार्यक्रमों में जनप्रतिनिधियों को आमंत्रित नहीं किया जा रहा, जबकि ये कार्यक्रम शहर के विकास से जुड़े हुए हैं। विशेष रूप से चौराहों और सड़कों के सौंदर्यकरण में भामाशाहों द्वारा अपने नाम के बैनर लगाए जा रहे हैं, जिसका विरोध नगर परिषद के पार्षदों द्वारा किया जा रहा है।
कांग्रेस पार्षद महावीर बोहरा का कहना है कि यह अभियान बाड़मेर के विकास के बजाय उद्योगपतियों के प्रचार प्रसार का एक जरिया बनता जा रहा है। पार्षदों का मानना है कि इस अभियान का उद्देश्य केवल सार्वजनिक छवि बनाना है, जबकि इसके लिए शहर के स्थानीय जनप्रतिनिधियों को दरकिनार किया जा रहा है। इस पूरे मामले में अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या नवो बाड़मेर अभियान वास्तव में बाड़मेर के विकास के लिए है या फिर यह एक राजनीतिक और व्यवसायिक प्रचार का हिस्सा बनकर रह जाएगा।
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