राजस्थान में कोटा के एमबीएस अस्पताल से अंध विश्वास का अनोखा मामला सामने आया है। जहां तीन साल पहले मर चुके एक शख्स के परिवार वाले उसकी आत्मा को लेने पहुंचे हुए थे।
कोटा. राजस्थान के कोटा जिले में 3 साल पहले एक युवक की मौत के बाद अब उसकी आत्मा ले जाने का खेल कोटा के सबसे बड़े जिला अस्पताल में हुआ । अस्पताल का स्टाफ सब कुछ देखता रहा, लेकिन डर के मारे कुछ नहीं बोला सके। युवक के परिजन एक तांत्रिक को लेकर अपने साथ आए । अस्पताल के ठीक बाहर एक पेड़ के नीचे तांत्रिक क्रियाएं की और उसके बाद एक छोटी सी मटकी को बंद करके अपने साथ ले गए। यह पूरा घटनाक्रम सैकड़ों लोगों के सामने हुआ। लेकिन कोई कुछ बोल नहीं सका। बाद में पुलिस पहुंची लेकिन तब तक सब कुछ शांत हो चुका था ।
कोटा कन्नौज के रहने वाले किशन की साल 2022 में हुई थी मौत
अस्पताल के स्टाफ ने पुलिस को बताया कि कन्नौज इलाके में रहने वाले बाल किशन नाम के एक व्यक्ति की साल 2020 में करंट लगने से मौत हो गई थी। वह एक ट्रक में खलासी का काम करता था । उसकी मौत के बाद उसके गांव में अचानक बीमारियां बढ़ने लगी , अपराध की गतिविधियां बढ़ने लगी और लोग बेवजह लड़ाई झगड़ा करने लगे । इस पर वहां एक तांत्रिक आया और उसने कहा कि यह सब किसी लड़के की मौत के कारण हुआ है और उसकी आत्मा भटक रही है । अगर उसकी आत्मा को अस्पताल से लाकर उसका सही तरीके से क्रिया कर्मी नहीं किया गया तो यह घटनाएं और बढ़ेगी ।
कोटा के एमबीएस अस्पताल पहुंचे और आत्मा को चिल्ला-चिल्लाकर बुलाने लगे
इस पर आज कन्नौज गांव के लोग बड़ी संख्या में कोटा के एमबीएस अस्पताल पहुंचे और वहां पर उन्होंने अस्पताल के बाहर पूजा पाठ एवं हवन शुरू कर दिया। वे लोग जोर-जोर से चीखने और चिल्लाने लगे और बाल किशन की आत्मा को बुलाने लगे। करीब 1:30 से 2 घंटे पूजा पाठ करने के बाद वे लोग एक मटकी को बंद करके वहां से चले गए । अस्पताल स्टाफ ने पुलिस को बताया कि यहां पर पहले भी इस तरह से कई बार मामले सामने आए हैं । पुलिस ने फिलहाल कोई मामला दर्ज नहीं किया है। कुछ जांच पड़ताल और पूछताछ करने के बाद पुलिस भी वहां से चली गई ।
बूंदी ,डूंगरपुर, बांसवाड़ा में सबसे ज्यादा अंधविश्वास
उल्लेखनीय है कि कोटा, बूंदी ,डूंगरपुर, बांसवाड़ा के ग्रामीण इलाकों में आज भी अंधविश्वास के मामले सामने आते है। कई बार तो छोटे बच्चे जिन्हें तेज बुखार भी रहता है उन्हें भी दवा दिलाने की जगह गरम लोहे से दाग दिया जाता है। इलाज नहीं मिलने के कारण उनकी मौत तक हो जाती है।