
Rajasthan bullet train project: देश की पहली बुलेट ट्रेन का सपना अब सिर्फ मुंबई-अहमदाबाद तक सीमित नहीं रहने वाला। जल्द ही यह रफ्तार राजस्थान की धरती पर भी दौड़ने वाली है। दिल्ली से अहमदाबाद के बीच प्रस्तावित 878 किलोमीटर लंबे हाई स्पीड रेल कॉरिडोर की डीपीआर (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) तैयार हो चुकी है और यह योजना राजस्थान के लिए ऐतिहासिक होने वाली है। इसमें राज्य के सात जिलों के 335 गांव शामिल होंगे। यह कॉरिडोर बुलेट ट्रेन को 350 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से दौड़ने की अनुमति देगा।
मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन कॉरिडोर का लगभग 300 किलोमीटर ट्रैक बनकर तैयार है, केवल पटरियां बिछाना बाकी है। इस ट्रैक को अहमदाबाद से दिल्ली तक विस्तारित करने की योजना पर तेज़ी से काम हो रहा है। इतना ही नहीं, हाई स्पीड ट्रायल ट्रैक राजस्थान के नागौर जिले के नावां कस्बे के पास बनाया जा रहा है। यह जगह सांभर झील के निकट है और जोधपुर मंडल के तहत आती है।
इस हाई स्पीड रेल कॉरिडोर का लगभग 75 प्रतिशत हिस्सा राजस्थान से होकर गुजरेगा, यानी लगभग 657 किलोमीटर दूरी राज्य में तय होगी। ट्रेन अलवर, जयपुर, अजमेर, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, उदयपुर और डूंगरपुर जिलों के 335 गांवों से होकर गुजरेगी।
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राजस्थान में कुल 9 स्टेशन प्रस्तावित हैं, जो इस प्रकार हैं:
इन स्टेशनों के माध्यम से राजस्थान के प्रमुख शहरी और पर्यटन स्थल हाई स्पीड रेल नेटवर्क से जुड़ जाएंगे।
हालांकि राजस्थान के कई हिस्सों को इससे फायदा मिलेगा, जोधपुर शहर इस बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट में शामिल नहीं है। शुरुआती डीपीआर और सर्वे में जोधपुर का नाम नहीं है। हालांकि, जोधपुर रेल मंडल में 800 करोड़ रुपये की लागत से 64 किलोमीटर लंबा टेस्ट ट्रैक बनाया जा रहा है, जहां बुलेट ट्रेन का ट्रायल सबसे पहले होगा।
उदयपुर जिले में बुलेट ट्रेन का सबसे लंबा ट्रैक प्रस्तावित है, 127 किलोमीटर का। यह ट्रैक यहां 5 नदियों के ऊपर से गुजरेगा और कुल 8 सुरंगेंबनाई जाएंगी। इस रूट से उदयपुर को पर्यटन और कारोबार दोनों में नई रफ्तार मिलेगी।
इस हाई स्पीड ट्रैक की शुरुआत दिल्ली के द्वारका सेक्टर 21 से होगी। फिर यह गुरुग्राम के चौमा, मानेसर, रेवाड़ी होते हुए अलवर जिले के शाहजहांपुर बॉर्डर में प्रवेश करेगा। यहां से यह नेशनल हाईवे 48 के समानांतर जयपुर, अजमेर, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, डूंगरपुर होते हुए अहमदाबाद पहुंचेगा।
हालांकि विस्तृत टाइमलाइन अभी सामने नहीं आई है, लेकिन रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव द्वारा संसद के शीतकालीन सत्र में बताया गया था कि दिल्ली-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल प्रोजेक्ट की डीपीआर पूरी हो चुकी है और इसकी व्यवहारिकता पर अध्ययन किया जा रहा है।
राजस्थान के लिए यह प्रोजेक्ट सिर्फ एक रेल योजना नहीं, बल्कि आर्थिक, पर्यटन और संपर्क की दृष्टि से एक क्रांतिकारी कदम साबित हो सकता है। इस परियोजना के माध्यम से न केवल यात्रा का समय घटेगा, बल्कि रोजगार और विकास के नए रास्ते भी खुलेंगे।
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