न Aadhaar बनवाया, न सिम कार्ड खरीदता है, जेल में रहकर सीख ली 'डॉक्टरी', रेल यात्रीगण कृपया Alert रहें

अगर आप ट्रेन से यात्रा कर रहे हैं और जरूरत पड़ने पर कोई भी यह आकर कहे कि वो डॉक्टर है, तो अलर्ट रहें। जोधपुर जीआरपी ने एक ऐसे ही बुजुर्ग लुटेरे को पकड़ा है, जो खुद को डॉक्टर बताकर पैसेंजर्स को लूट लेता था। 

जोधपुर. अगर आप ट्रेन से यात्रा कर रहे हैं और जरूरत पड़ने पर कोई भी यह आकर कहे कि वो डॉक्टर है, तो अलर्ट रहें। जोधपुर जीआरपी ने एक ऐसे ही बुजुर्ग लुटेरे को पकड़ा है, जो खुद को डॉक्टर बताकर पैसेंजर्स को लूट लेता था। पुलिस की पड़ताल में सामने आया है कि ये बदमाश राजस्थान सहित 7 राज्यों में सैकड़ों लोगों को बेहेाश करके लूट चुका है। पुलिस ने करीब सात दिन तक इसका पीछा किया, तब जाकर ये दिल्ली से 13 अप्रैल की रात अरेस्ट किया जा सका।

तिहाड़ जेल के कैदियों की कहानी

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जोधपुर GRP के थानाधिकारी महेश श्रीमाली के अनुसार, मध्यप्रदेश के मंदसौर का रहने वाला 59 वर्षीय बाबू खान पठान लंबे समय से वांटेड था। जांच में सामने आया है कि बाबू खान राजस्थान, दिल्ली, मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, बिहार, उत्तरप्रदेश आदि में सैकड़ों पैसेंजर्स को लूट चुका है।

बाबू खान को 1999 में दिल्ली जीआरपी ने नशीला पदार्थ बेचते हुए पकड़ा था। यह उसकी पहली बार गिरफ्तारी थी। तब उसे तिहाड़ जेल में भेजा गया था। बदमाश ने पुलिस की पूछताछ में कबूला कि उसने तिहाड़ की डिस्पेंसरी में काम किया। यहां दवा के तौर-तरीके आदि सीखे। जब वो जेल से छूटकर बाहर आया, तो खुद को डॉक्टर बताकर ट्रेन के यात्रियों को लूटने लगा।

ट्रेन में किसी से भी कुछ लेकर न खाएं

पुलिस ने बताया कि बाबू खान ट्रेनों और स्टेशन पर ऐसे यात्रियों को तलाशता था, जो अकेले यात्रा कर रहे हों। पहले वो उनसे परिचय करता। फिर खुद को डॉक्टर बताता। इसके बाद यात्री को चाय का आफर देता। चाय के बीच वो अपने पास से नमकीन निकालकर यात्री को खाने को देता। इसमें दवा मिली होती थी। नमकीन खाने के बाद यात्री का पेट गड़बड़ हो जाता।

इलाज के बहाने बाबू खान यात्री को दवा देता। यह एक नशीली गोली होती। इसे खाकर यात्री बेहोश हो जाता। बाबू खान यात्री को सुला देता और फिर उसका कीमती सामान लेकर निकल जाता। पुलिस के अनुसार, जोधपुर में भी बाबू खान के खिलाफ 2021 में एक मामला दर्ज किया गया था, तब से वो वांटेड था।

न आधार बनवाया और न कभी सिम खरीदी

बाबू खान शातिर अपराधी निकला। उसने कभी भी अपने नाम से मोबाइल सिम नहीं खरीदी। वो फर्जी डॉक्यूमेंट पर प्री पेड सिम खरीदता था और महीने-दो महीने में बदल देता था। उसने अपना आधार कार्ड तक नहीं बनवाया।

पुलिस के अनुसार, आरोपी बाबू खान के खिलाफ जीआरपी थाना अहमदाबाद के तीन मामलों में स्थाई वारंट है। इसके अलावा जीआरपी थाना राजकोट के दो, रतलाम के दो, पुलिस थाना भीमगंज मंडी कोटा के एक मामले में स्थाई वारंट जारी हैं। बाबू खान 1999 से 2009 तक तिहाड़ जेल, 2015 से 2017 तक रतलाम और 2020 से 2021 तक साबरमती जेल में कैद रह चुका है।

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