
बांरा. राजस्थान के बांरा जिले में रहने वाले शिक्षक अंकुर के यहां चार महीने पहले बेटे का जन्म हुआ। मानों मन की मुराद पूरी हो गई हो। पत्नी भी गर्भधारण के हिसाब से ओवरएज थी और साथ ही अंकुर खुद भी चालीस साल के थे। स्वस्थ बेटा पैदा होने के बाद परिवार में खुशी का माहौल था। ससुरा और पीहर पक्ष सभी जगहों पर खुशियां मनाई जा रही थीं। लेकिन नीयति को कुछ और ही मंजूर था। जिस उम्र में बच्चे मां के आंचल से नहीं उतरते उस उम्र में बच्चे ने अपने पिता की गोद से मां को मुखाग्नि दी। उसके बाद दो महीने और बीते तो पिता भी हमेशा के लिए चले गए। ईमोशनल स्टोरी चार महीने के बच्चे की है। जिसके प्यार का नाम बाबू है...।
दो महीने पहले पत्नी चल बसी-अब पति भी छोड़ गया दुनिया
दरअसल बंारा जिले के अंता थाना इलाके में स्थित बंबुलिया गांव का यह पूरा मामला है। बंबुलिया गांव में रहने वाले अकुंर कुमार, जोधपुर जिले में सरकारी शिक्षक थे। दो महीने पहले ग्यारह दिसम्बर को उनकी पत्नी की मौत हो गई थी लंबी बीमारी के चलते। पत्नी की मौत के बाद से वे तनाव में थे। इसी तनाव के कारण वे कई दिनों से स्कूल भी नहीं जा रहे थे। कुछ दिन पहले जोधपुर वापस गए लेकिन तीन से चार दिन पहले फिर से बांरा लौट आए। दो दिन पहले बांरा में अपने भाई जनार्दन के पास अंकुर आए थे। भाई के आने से पहले चार महीने के बच्चे को अपने ननिहाल में छोड़ दिया था।
मरने से पहले भाई से कहा-अब मैं जीना नहीं चाहता हूं
भाई जनार्दन से अंकुर ने कहा था कि जीना नहीं चाहता। लेकिन भाई ने अंकुर को समझाया था कि वह कोई भी गलत कदम नहीं उठाए। ऐसा हुआ नहीं। अंकुर ने रविवार रात सुसाइड़ कर लिया। सोमवार शाम उसके शव को उसके बेटे ने मुखाग्नि दी। अब माता ओर पिता को खोने वाला बेटा अकेला रह गया है। जिसने भी मोक्षधाम में ये दृश्य देखा वह अपनी आखों को नम होने से नहीं रोक सका।
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