पूरे देशभर में 6 अप्रैल 2203 को हनुमान जयंती मनाई जाएगी। इसके लिए भक्तों ने बजरंगबली की मंदिर सजा दिए हैं। जगह-जगह भंडारा और सुंदरकांड का पाठ का आयोजन है। वहीं राजस्थान के भीलवाड़ा में एक ऐसे भक्त है जो मुफ्त में हनुमानजी की मूर्तियां बांटते हैं।
भीलवाड़ा (राजस्थान). अक्सर हमने सुना है कि भगवान की कृपा से खुश होकर वक्त भगवान को लाखों करोड़ों रुपए का चढ़ावा चढ़ा देता है लेकिन क्या आपने कभी ऐसा भी सुना है कि कोई भक्त अपने भगवान की ही हजारों मूर्तियां खुद के खर्चे पर बनवा कर उन्हें निशुल्क लोगों को देता है ताकि उसके भगवान का हर जगह मंदिर बन सके। यह बात कोई कल्पना की नहीं बल्कि हकीकत है। ऐसा ही एक हनुमान भक्त है राजस्थान में। जो अब तक भगवान हनुमान की दो हजार से ज्यादा मूर्तियां बनवा कर उन्हें स्थापित करने के लिए देश में करीब 2000 लोगों को दे चुका है।
20 राज्यों में भेज चुके हैं हनुमानजी की मूर्ति
हम बात कर रहे हैं राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के कोरोई कस्बे के रहने वाले महंत बाबू गिरी महाराज की। जो गांव में ही एक ज्योतिषी विद्या केंद्र चलाते हैं। बाबू गिरी महाराज पर भगवान का कोई ऐसा चमत्कार नहीं हुआ कि उन्होंने यह काम शुरू किया वह तो अपने मन से ही पिछले एक दशक से यह काम कर रहे हैं। महेंद्र बाबू गिरी गांव में ही मजदूरों की सहायता से यह मूर्तियां बनवाते हैं। अब तक उनकी बनाई गई मूर्तियां राजस्थान के अलावा मध्य प्रदेश हरियाणा उत्तर प्रदेश बिहार सहित देश के करीब 20 से ज्यादा राज्यों में जा चुकी है। इतना ही नहीं उनके पास 1 साल तक के आर्डर तो पहले से ही आए हुए होते हैं। महंत बाबू गिरी महाराज ने मूर्तियां बनाने के लिए करीब 8 मजदूरों को अपने केंद्र पर रखा हुआ है।
बस एक सपने के चलते पूरी जीवन हनुमान जी के लिए कर दिया समर्पित
महंत बाबू गिरी महाराज बताते हैं कि उनका सपना है कि हर जगह भगवान हनुमान का मंदिर हो इसके लिए उन्होंने यह काम शुरू किया। मूर्तियों के लिए पत्थर राजस्थान के ही दौसा जिले के मेहंदीपुर इलाके से मंगवाया जाता है। इसके बाद मूर्ति बनाने का पूरा काम बाबू गिरी के केंद्र पर ही होता है। बकायदा बाबू गिरी महाराज ने एक नंबर भी जारी किया हुआ है। जिस पर संपर्क करके कोई भी मंदिर में मूर्ति स्थापित करने के लिए उनसे ले सकता है। आंकड़ों की मानें तो अब तक मूर्तियां बनाने में करीब 30 लाख से ज्यादा खर्च हो चुके हैं लेकिन आज तक के महंत बाबू गिरी ने किसी से भी एक रुपया तक नही लिया।