बच्चों को ABCD सिखाने वाली ये टीचर हैं स्पेशल, राष्ट्रपति ने खुद इन्हें इनाम के लिए चुना

Shikshak Diwas 2023: 5 सितंबर यानि भारत के पहले राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन है। जिसे पूरा देश शिक्षक दिवस के रूप में मनाता है। इस अवस पर हम राजस्थान के एक ऐसे टीचर की कहानी बता रहे हैं जिसे खुद राष्ट्रपति ने अवॉर्ड के लिए चुना।

अलवर (राजस्थान). देश के 75 शिक्षकों को आज शिक्षा के क्षेत्र का बड़ा सम्मान मिलने वाला है। इन शिक्षकों को राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मू की टीम ने खुद चुना है। इन शिक्षकों में राजस्थान की इन दो टीचर्स का भी नाम है जो सरकारी स्कूल में पढ़ाती हैं। लेकिन पढाई के अलावा बच्चों का भला करने के लिए दोनो टीचर्स ने ऐसे काम किए हैं कि पूरा देश उनका फैन हो गया है। एक टीचर की बनाई गई पाठ्य सामग्री अब तक दस लाख से भी ज्यादा बच्चे पढ़ चुके हैं और सीख चुके हैं। दूसरी टीचर मूक बधिर बच्चियों को अपनी हिफाजत करना सिखा रहीं हैं । अब तक हजारों बच्चियों को उन्होनें निपुण कर दिया है।

पहले बाद छोटी कक्षाओं को एबीसीड़ी सिखाने वाली फाइटर टीचर की

Latest Videos

ये टीचर हैं अलवर जिले के राजगढ़ इलाके में खरखड़ा गांव में स्थित सरकारी स्कूल की। नाम है आशा सुमन.... वे 2005 से बच्चों को पढ़ा रही हैं। छोटी कक्षाएं लेती हैं और प्राइमरी की टीचर हैं। साल 2014 में हुए एक वाक्ये ने उन्हे फाइटर बना दिया और उसके बाद उन्होनें जो किया उसके लिए उन्हे पुरुस्कार मिल रहा है। आशा बताती हैं कि वे 2014 में एक दिन स्कूल के पास खेत से गुजर रही थीं। इस दौरान एक मूक बधिर बच्ची को खून से सनी हालत मे देखा। तुरंत समझ आ गया कि बच्ची से रेप हुआ है। बच्ची के पास पहुंची तो वह फूट फूट कर रोई और गले लग गई। इस एक पल ने आशा का जीवन बदल दिया। उन्होनें तय कर लिया कि मूक बधिर बच्चों को आत्मरक्षा के लिए निपुण करेंगी। लेकिन खुद ने कभी किसी को थप्पड तक नहीं मारा वो टीचर कराटे कैसे सिखा पाती....। उन्होनें पुलिस के ट्रेनिंग सैशन में भाग लेना शुरु किया, मार्शल ऑर्ट सीखने मुंबई तक जा पहुंची। खुद के खर्च पर कई महीनों की ट्रेंनिग ली। उसके बाद बच्चों को सिखाना शुरू किया। अब तक पांच हजार से ज्यादा बच्चों को ट्रेनिंग दे चुकी हैं और खुद भी फाइटर बन चुकी है। और सबसे बड़ी बात ये सब प्राइमरी स्कूल के बच्चों को पढाने के साथ हो रहा है। इसलिए उनको पुरुस्कार के लिए चुना गया है।

दूसरी टीचर के तो दस लाख से ज्यादा बच्चे और उनके माता पिता फैन हैं....

दूसरी टीचर हैं राजस्थान के जोधपुर जिले में स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक स्कूल, बावड़ी की प्रिंसिपल..... डॉ शीाल आसोपा......। शीला ने एक साथ लाखों बच्चों को पढ़ाने के लिए एक डिजिटल बुक तैयार की है। इसके लिए पहले उन्होनें खुद सीखा और फिर इसे तैयार करने में पांच साल का समय लगाया। इनकी लर्निंग बुक को दस लाख बच्चे देख और पढ़ चुके हैं। पर्यावरण इनका जूनून हैं। अब तक एक हजार पौधे लगवा चुकी हैं। सैंकड़ों रैलियां निकाल चुकी है। स्कूल में पानी के बंदोबस्त के वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम देसी तरीके बनवाए हैं। स्कूलों में जा जाकर बच्चों को पर्यावरण को फॉलो करना सिखा रही हैं। इनके इस जूनून को अब राष्ट्रपति भी देख चुकी हैं और उनको पुरुस्कार देना चाहती हैं।

राजस्थान के इस टीचर को सलाम: जिसने बदल दी स्कूल की सूरत, खुद के खर्चे पर बनवा दिया विद्यालय

 

 

Share this article
click me!

Latest Videos

चुनाव नियमों में बदलाव को कांग्रेस की Supreme Court में चुनौती, क्या है पूरा मामला । National News
'अब पानी की नो टेंशन' Delhi Election 2025 को लेकर Kejriwal ने किया तीसरा बड़ा ऐलान
जौनपुर में कब्रिस्तान के बीचो-बीच शिवलिंग, 150 या 20 साल क्या है पूरी कहानी? । Jaunpur Shivling
मोहन भागवत के बयान पर क्यों बिफरे संत, क्या है नाराजगी की वजह । Mohan Bhagwat
LIVE 🔴: बाबा साहेब का अपमान नहीं होगा सहन , गृहमंत्री अमित शाह के खिलाफ बर्खास्तगी की उठी मांग'