
जयपुर. सचिन पायलट.... नाम ही काफी है राजस्थान और देश की राजनीति में। बड़े बड़े उलटफेर कर चुके पायलट... हमेशा सीएम अशोक गहलोत के निशाने पर रहते हैं। राजनीतिक जीवन भयंकर उतार चढ़ा वाला रहा है इन दिनों पायलट का, लेकिन इससे ठीक उलट उनकी फैमिली लाइफ बेहद शांत और शानदार है। उनकी प्रेम कहानी में फिल्मों सी है। पहली नजर के प्रेम से लेकर अब तक जो भी घटित हो रहा है वह उतार चढ़ाव वाला रहा है। उनकी पत्नी सारा पायलेट हैं जो खुर्रांट नेता फारूख अबदुल्ला की बेटी हैं।
लंदन में हुई थी इस लव स्टोरी की शुरुआत.... फिर प्यान पनपने लगा
दरअसल बात 90 के दशक की है। नफरत की आग में तप रहे जम्मू कश्मीर के नेता फारूख ने अपनी बेटी को इस नफरत की आग से बचाने के लिए लंदन भेज दिया। लंदन में ही सचिन पायलेट भी पढा करते थे। लेकिन दोनो अलग अलग संस्थान के छात्र थे। उसके बाद दोनो की पहली मुलाकाम एक शादी में हुई जो लंदन में ही थी। पहली नजर में ही एक दूसरे को दोनो ने दिल दे दिया। उसके बाद पायलेट एमबीए के पढाई करने दूसरे देश चले गए लेकिन वहां पर भी सारा से संपर्क रहा और प्रेम पनपने लगा।
पहले पायलट ने सारा की मां का दिल जीता…फिर रचाई शादी
उसके बाद सारा अबदुल्ला ने लंदन में ही रहने वाली अपनी मां से सचिन की मुलाकात कराई। पहली ही मुलाकात में सचिन ने सारा की माताजी का दिल जीत लिया। मां को बेटी की पसंद…पसदं आ गई और फिर शादी पक्की। लव मैरिज के बारे में जब अब्दुल्ला परिवार को पता चला तो कोहराम मच गया। अब्दुल्ला परिवार ने शादी के बाद सचिन से कई सालों तक बात नहीं की।
दिल्ली में तरीके से हुई शादी तो फिर पिघलने लगी सख्त बर्फ
सचिन पायलेट की मां रमा पायलेट सांसद थीं। बेटे की शादी के बारे मंे पता चला तो दिल्ली में सारा और सचिन का रीत रिवाज से विवाह कराया गया। पहले तो पायलेट परिवार भी गुस्सा था लेकिन बहू को देखते ही सारा गुस्सा पिघल गया। उधर धीरे धीरे फारूख अबदुल्ला भी अपनी सख्ती को कम करने लगे। इस दौरान उनका दामाद सिर्फ 26 साल की उम्र में ही सांसद बन गया और उन्होनें अपने आप को साबित कर दिया तो फिर दोनो परिवारों के बीच का गुस्सा तेजी से कम होने लगा और रिश्ते अच्छे होने लगे।
सियासत से दूर रहती हैं सारा..
2004 में हुई शादी के बाद अब सारा और सचिन के दो बेटे आरन और विहान हैं। सारा पायलेट अपने निजी जीवन में खुश हैं। वे राजनीति से दूर रहती हैं और अपना परिवार संभालती हैं। खबरों और मीडिया की सुर्खियों से भी दूर ही रहना पसंद करती हैं। यही कारण है कि शायद ही किसी राजनीतिक आयोजन में उन्हें कभी देखा गया है....। घर भला और बच्चे भले..... यही उनके जीवन का मूल मंत्र हैं।
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