
जयपुर. कल धुलंडी का पर्व पूरे देश में मनाया जाएगा। कोई पक्के रंग से तो कोई गुलाल से होली खेलेगा लेकिन क्या आप जानते हैं राजस्थान में एक कस्बा ऐसा भी है जहां होली रंगों से नहीं खेली जाती। बल्कि यहां पर होली के दिन जलती लकड़ियों से राड खेली जाती है। ऐसा वागड़ के घाटोल क्षेत्र में होता है। यहां पर पिछले करीब 562 साल से यह परंपरा चली आ रही है। हालांकि जैसे-जैसे समय बीतता गया इसमें बदलाव हुए लेकिन आज भी परंपरा वैसे ही निभाई जा रही है।
होली के दिन यह डर लोगों को डराता है
गांव के सभी लोग एक जगह एकत्रित होते हैं और इसके बाद जली लकड़ियों से एक दूसरे की तरफ फेंकते हैं। हालांकि गांव के लोग दो गुटों में बंटे रहते हैं लेकिन फिर भी लोगों के आग लगने का डर बना रहता है।
होली खेलने के दौरान हेलमेट लगाते हैं लोग
गांव के ग्रामीण बताते हैं कि पहले की बजाय अब काफी बदलाव हो गया है। अब लोग आग से बचने के लिए बैलगाड़ी के पहिए का इस्तेमाल करने लगे हैं। इसके बाद से हाथ से भी कम होने लगे हैं। अब तो कई लोग यह होली खेलने के दौरान हेलमेट भी लगने लगे हैं। ग्रामीणों का मानना है कि यह होली के दौरान 10 दिनों तक किया जाता है। जिससे कि पूरे साल गांव में कोई भी विपदा नहीं आती।
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