राजस्थान के अलवर में हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय के त्योहार एक साथ मनाए जा रहे हैं। ऐसे में मुस्लिम समुदाय ने ऐसा काम किया कि हिंदुओं का दिल जीत लिया।
अलवर. राजस्थान के अलवर जिले में रहने वाले मुस्लिम समुदाय ने इस बार ऐसा काम किया है कि हिंदुओं का दिल जीत लिया। इस बार अलवर के मेव समाज ने वो काम किया है। जो आज तक नहीं हुआ। दरअसल इस बार अलवर में भगवान जगन्नाथ का मेला आयोजन और मुहर्रम का आयोजन..... दोनो एक ही दिन में रखे गए हैं। दोनों कार्यक्रम एक ही जगह पर रखे गए थे, लेकिन बाद में मुस्लिम समाज ने अपना रूट बदल दिया। जिला मेव पंचायत के सरंक्षक शेर मोहम्मद ने बताया कि 17 जुलाई को दोनों आयोजन एक ही दिन हैं। दोनों आयोजन में बड़ी संख्या मेंं लोग शामिल होते हैं। ऐसे में सामाजिक सौहार्द बनाए रखने के लिए इस बार रूट बदला गया है।
16 और 17 जुलाई को मोहर्रम
शेर मोहम्मद ने कहा कि 16 जुलाई को कत्ल की रात है और 17 को ताजियों को सुपुर्द ए खाक किया जाएगा। अक्सर ताजिए अलवर शहर के बीचों बीच से होकर निकाले जाते थे। दोपहर से पहले इनकी शुरुआत होती थी और देर रात इनको जेल चौराहे के नजदीक कर्बला मैदान में दफनाया जाता था। इस बार भी ऐसा ही होगा, लेकिन इस बार शहर में नहीं होकर शहर के बाहरी इलाकों से ताजियों को जेल चौराहे तक ले जाया जाएगा। ताकि किसी भी तरह की परेशानी किसी भी पक्ष को ना हो।
15 जुलाई से भगवान जगन्नाथ का मेला
उधर भगवान जगन्नाथ का मेला महोत्सव शुरू हो गया है। मुख्य आयोजन रविवार से शुरू हो जाएंगे। सोमवार 15 जुलाई को रथयात्रा रवाना होगी जो 19 जुलाई को वापस लौटेगी। 17 जुलाई को लक्खी मेले का आयोजन रूपबास स्थित मंदिर में होगा। यह मंदिर शहर के बीच में स्थित है। 17 को ही मुहर्रम का जूलूस निकाला जाएगा। इस मेले में शामिल होने के लिए दूसरे शहरों से भी बड़ी संख्या में लोग आते हैं। यही कारण है कि इस बार मुस्लिम समाज ने शहर के बीचों बीच से ताजिया ले जाने की जगह उसे शहर के बाहर के रूट से ले जाने के लिए तैयारी की है।