
जयपुर। 'मैं तो उदयपुर से आ रहा था और बस में बैठा था। मेरे जैसे काफी लोग बस में सवार थे और अधिकतर नींद की झपकी ले रहे थे, कुछ अपना फोन चला रहे थे। अचानक ऐसा धमाका हुआ मानों परमाणु बम फट गया हो, बाहर झांककर देखा तो आग का भभका हमारी ओर आ रहा था। बस ड्राइवर ने कहा कि जल्दी बाहर निकलो, आग लगी है, जान बचाओ...। मैं दरवाजे के नजदीक ही बैठा था, दरवाजे पर आया तो बाहर धक्का लगा। सिर पर पैर रखकर मैं भागा और फिर काफी दूर भागने के बाद ही पीछे मुड़कर देखा। मैं चाहकर भी लोगों को बचा नहीं सका।' ये बातें एक प्रत्यक्षदर्शी की आंखों देखी हैं, जो आज सवेरे SMS अस्पताल आया था। जगदीश प्रसाद नाम के प्रत्यक्षदर्शी ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि वो उदयपुर से आ रहा था। तभी ये हादसा हुआ।
दूसरे प्रत्यक्षदर्शी सुनील ने बताया कि वो सिटी बस में सवार थे और घर पहुंचने वाले ही थे। अचानक आग लगने की सूचना मिली। हमारी बस उस आग की चपेट में आ चुकी थी। बस में काफी ज्यादा सवारियां थीं। ड्राइवर बचाओ-बचाओ चिल्ला रहा था और जान बचाने के लिए कह रहा था। महिलाएं बस से कूदने लगीं। मैं भी नीचे कूदा। आगे से चलते हुए लोग आ रहे थे। हम किसी को बचा नहीं पा रहे थे, बस भागे जा रहे थे। हमारी जान बच गई। कुछ देर में ही पुलिस पहुंची, पूरे इलाके को घेर लिया गया। कूदने और भागने में कुछ लोग जल गए। उनको भी एसएमएस अस्पताल लाया गया है।
प्रत्यक्षदर्शियों की ओर से इस हादसे की भयावहता का जिस तरह से जिक्र किया गया, वो रोंगटे खडे़ करने वाला था। लोगाें को सिर्फ अपनी जान की फिक्र थी। जो जहां, जिसके ऊपर, जैसे भी रास्ता पा रहा था, कूद फांद और चढ़कर भाग रहा था, न तो किसी को इंसान दिख रहा था और न ही रास्ता। इस खौफनाक मंजर में सही सलामत बचे लोगों की तो काफी देर तक जान ही हलक में अटकी रहीं। उन्हें यह महसूस ही नहीं हो रहा था, कि वह कहां और कैसे हैं। उनके चेहरे पर खौफ का साया घंटों तक मडराता रहा।
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