जयपुर में ड्रोन नहीं करा पाया कृत्रिम बारिश, लेकिन गधे ने गिरा दिया पानी..जानिए कैसे

Published : Aug 21, 2025, 04:55 PM IST
Donkey Rain Ritual

सार

Donkey Rain Totka : जयपुर में ड्रोन से बादल फाड़कर बारिश कराने का वैज्ञानिक प्रयास विफल रहा, जबकि झालावाड़ के गंगधार में गधे पर टोटका कर 24 घंटों में बारिश हुई। वैज्ञानिक और पारंपरिक तरीके दोनों पर बहस, लेकिन पानी की गंभीरता साफ हुई। 

Rajasthan Rain News : राजस्थान इन दिनों बारिश के लिए अलग-अलग प्रयोगों का गवाह बन रहा है। एक ओर जहां राजधानी जयपुर में वैज्ञानिक तकनीक से बादल फाड़कर बारिश कराने की कोशिश हो रही है, वहीं झालावाड़ जिले के गंगधार में ग्रामीणों ने परंपरागत टोटकों का सहारा लिया और हैरानी की बात यह रही कि ग्रामीणों का यह अनोखा प्रयास सफल भी हो गया।

जयपुर में क्लाउड सीडिंग तकनीक हुई फेल

जयपुर के रामगढ़ बांध क्षेत्र में इस साल कम बारिश के कारण पानी का संकट गहराता जा रहा है। पानी की कमी से जूझ रहे जयपुर में सरकार और वैज्ञानिकों ने क्लाउड सीडिंग तकनीक का सहारा लिया। इसके तहत बड़े ड्रोन और विशेष केमिकल के जरिए बादलों को सक्रिय कर बारिश कराने का प्रयास किया गया। यह प्रयोग कई बार दोहराया गया, लेकिन अब तक इसका खास असर देखने को नहीं मिला।

गधे पर टोटका किया और झमाझम गिरा पानी

इसके विपरीत, झालावाड़ जिले के गंगधार कस्बे में ग्रामीणों ने पारंपरिक मान्यताओं के अनुसार गधे पर टोटका किया। ग्रामीणों ने गधे को गुलाब जामुन खिलाए, उसे सजाया और फिर गांव के पटेल को उसी गधे पर उल्टा बैठाकर श्मशान के सात चक्कर लगवाए। स्थानीय मान्यता है कि इस तरह के टोटके से इंद्र देव प्रसन्न होते हैं और बारिश होती है। आश्चर्यजनक रूप से इस अनुष्ठान के 24 घंटे के भीतर ही क्षेत्र में झमाझम बारिश हो गई। यहां करीब 2 इंच (51 मिमी) पानी बरसने से किसानों की सूख रही खरीफ की फसलें बच गईं और ग्रामीणों ने राहत की सांस ली।

गधे के टोटके की पूरे इलाके में क्यों चर्चा?

  • ग्रामीण बताते हैं कि गंगधार क्षेत्र में यह कोई नई परंपरा नहीं है। पीढ़ियों से ऐसे टोटके किए जाते रहे हैं और अक्सर इनके बाद बारिश हो जाने से लोग इसे आस्था का परिणाम मानते हैं। इस बार भी ठीक ऐसा ही हुआ, जिससे क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गया। महिलाएं भी ढोल-नगाड़ों के साथ जल देवता की पूजा में शामिल हुईं और गांव में धार्मिक अनुष्ठानों का माहौल बना।
  • इस पूरे घटनाक्रम ने एक दिलचस्प तुलना सामने रख दी है। जहां जयपुर में करोड़ों रुपये खर्च कर वैज्ञानिक प्रयास किए जा रहे हैं, वहीं झालावाड़ के छोटे से कस्बे में लोकमान्यता पर आधारित टोटके से बारिश हो गई।
  • अब सवाल यह है कि क्या इसे संयोग माना जाए या परंपरा की ताकत? वैज्ञानिक दृष्टिकोण हो या आस्था, लेकिन दोनों घटनाओं ने यह साफ कर दिया कि राजस्थान में पानी का मुद्दा कितना गंभीर है और बारिश की एक-एक बूंद लोगों के लिए जीवनदायिनी साबित हो रही है।

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