
राजस्थान की राजधानी जयपुर में एक चौथी कक्षा की मासूम छात्रा की संदिग्ध मौत ने पूरे शहर को झकझोर दिया है। लेकिन इस हादसे से भी ज्यादा परेशान करने वाली बात यह है कि 22 दिन बाद भी जांच वहीँ की वहीं खड़ी है। परिवार की आंखों में दर्द, मन में सवाल और प्रशासन की चुप्पी—इन तीनों के बीच अब न्याय की उम्मीद एक लंबी लड़ाई में बदल चुकी है। यह मामला अब केवल एक परिवार का नहीं, बल्कि पूरे शिक्षा तंत्र की जवाबदेही का प्रतीक बन गया है।
मृत छात्रा के पिता ने ANI से बात करते हुए कहा कि 22 दिन बीत गए, लेकिन पुलिस की जांच बेहद धीमी है। उन्होंने दुख और नाराज़गी जताते हुए कहा कि मामले की गंभीरता को देखते हुए जिस तेजी की उम्मीद थी, वैसी कार्रवाई कहीं दिखाई नहीं दे रही।
परिवार ने बताया कि वे न्याय की गुहार लेकर सांसद किरोड़ी लाल मीणा और उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी से भी मिले। दोनों नेताओं ने कार्रवाई का भरोसा दिलाया, लेकिन पिता के मुताबिक अब तक किसी भी स्तर पर कोई कदम सामने नहीं आया।
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परिजन बताते हैं कि CBSE ने घटना के एक-दो दिन भीतर ही प्रारंभिक जांच पूरी कर ली थी। बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट में इसे “स्कूल की गंभीर लापरवाही” का मामला बताया और कहा कि हादसा रोका जा सकता था। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब CBSE इतनी जल्दी जांच कर सकता है, तो राजस्थान शिक्षा विभाग अब तक खामोश क्यों है? परिवार पूछ रहा है—
CCTV फुटेज में छात्रा घटना से कुछ देर पहले ही तनावग्रस्त दिखाई दे रही है। पिता का आरोप है कि कक्षा अध्यापक ने बच्ची की हालत पर ध्यान नहीं दिया, न ही उससे बात की। यह स्पष्ट संकेत है कि विद्यालय स्टाफ ने अपनी जिम्मेदारी निभाने में गंभीर चूक की। परिजनों का कहना है कि यदि समय रहते ध्यान दिया जाता, तो शायद यह हादसा टल सकता था।
परिवार ने साफ कहा है कि वे सिर्फ आश्वासनों से संतुष्ट नहीं होंगे। उनकी मांगें स्पष्ट हैं—
परिजन चाहते हैं कि ऐसा मिसाल बने, जिससे भविष्य में किसी भी स्कूल में इस प्रकार की लापरवाही दोबारा न हो।
यह घटना सिर्फ एक छात्रा की मौत नहीं, बल्कि प्रशासनिक संवेदनशीलता, शिक्षा व्यवस्था की सुरक्षा और स्कूलों की जवाबदेही का बड़ा सवाल है। 22 दिन से न्याय की प्रतीक्षा कर रहा यह परिवार अब पूरे राजस्थान की नजरों में है। क्या उन्हें राहत मिलेगी या यह मामला भी फाइलों में गुम हो जाएगा—यह आने वाले दिनों की सबसे अहम परीक्षा होगी।
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