
जयपुर, क्या आपने कभी सोचा है कि 92 साल की उम्र में कोई महिला 100 मीटर दौड़ सकती है? और वह भी इस उम्र में गोल्ड मेडल जीत सकती है? यह कोई फिल्मी कहानी नहीं, बल्कि राजस्थान (Rajasthan) की पानी देवी की सच्ची कहानी (True Story) है, जिन्होंने अपने दमदार प्रदर्शन से बेंगलुरु में हुई 45वीं राष्ट्रीय मास्टर्स एथलेटिक्स प्रतियोगिता (national masters athletics competition) में तीन स्वर्ण पदक (gold medals) अपने नाम किए।
पानी देवी की सेहत का राज किसी महंगे फिटनेस प्लान में नहीं, बल्कि उनकी सरल जीवनशैली में छिपा है। उनका कहना है कि उन्होंने कभी फास्ट फूड, डिब्बाबंद खाना और ठंडा पानी तक नहीं पिया। सुबह जल्दी उठना, घर के काम करना और खेतों में समय बिताना उनकी दिनचर्या का हिस्सा है। यही वजह है कि 92 की उम्र में भी वे बिना किसी दवा के पूरी तरह स्वस्थ हैं।
पोते के साथ रोजाना अभ्यास पानी देवी का एथलेटिक्स के प्रति समर्पण उम्र की सीमाओं को तोड़ता है। उनके पोते जयकिशन एथलेटिक्स कोच हैं और वे रोजाना उनके साथ मैदान में अभ्यास करने जाती हैं। दो घंटे की ट्रेनिंग उनके जीवन का अहम हिस्सा बन चुकी है। यही मेहनत उन्हें शॉटपुट, डिस्कस थ्रो और 100 मीटर दौड़ में विजेता बना रही है।
राजस्थान के खिलाड़ियों ने दिखाया दम बेंगलुरु में हुई इस राष्ट्रीय प्रतियोगिता में राजस्थान के खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन किया। पानी देवी के अलावा अनिल कुमार, माया सैनी, अनूप यादव, सलीम बेग और कई अन्य खिलाड़ियों ने पदक जीतकर राज्य का नाम रोशन किया।
प्रेरणा बनीं पानी देवी पानी देवी न केवल अपनी उम्र के लोगों के लिए, बल्कि युवाओं के लिए भी प्रेरणा हैं। उनकी कहानी बताती है कि मेहनत और समर्पण से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। यदि 92 साल की दादी गोल्ड जीत सकती हैं, तो क्या आप अपने सपनों के पीछे भागने के लिए तैयार हैं?
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