राजस्थान में अपनी ही कांग्रेस सरकार ने खिलाफ अनशन पर बैठने वाले नेता सचिन पायलट को एक दिन पहले यानि 10 अप्रैल के दिन ही तगड़ा झटका लगा है। आलाकमान के एक मौखिक आदेश ने उनकी चिंता बढ़ा दी है। हालांकि अब इसे वे कवर करने में लगे है।
जयपुर (राजस्थान) . अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले सचिन पायलट ने इस बार तो बड़े आंदोलन की तैयारी कर ली है। नौ अप्रेल रविवार को उन्होने मीडिया को अपने घर बुलाया और बताया कि वे 11 अप्रेल को जयपुर के शहीद स्मारक पर धरने पर बैठेंगे। लेकिन दस अप्रेल यानि आज उनको तगड़ा झटका लगा है। हांलाकि वे इसे कवर करने की कोशिश करने में जुटे हुए हैं।
4 सालों से चल रही गहलोत-पायलट में खींचतान
सचिन पायलेट राजस्थान सरकार में डिप्टी सीएम रह चुके हैं। लेकिन इस दौरान अपने कुछ नेताओं को मंत्री नहीं बनाए जाने के विवाद में उन्होंने सीएम गहलोत के खिलाफ ऐसी जंग छेड़ दी जो चार साल तक बीत जाने के बाद भी अभी तक जारी है। सीएम से सीधी टक्कर लेने के मामले में उन्हें काफी नुकसान भी उठाना पड़ा और अपना पद गंवाना पड़ा। लेकिन मामला यहीं शांत नहीं हुआ। वे और सीएम लगातार एक दूसरे के खिलाफ बयानबाजी करते रहे। उसे बाद अब प्रदेश प्रभारी सुरजीत सिंह रंधावा को दोनो को शांत करने के लिए दिल्ली से भेजा गया।
अब बात वर्तमान की.... इसलिए धरने पर बैठ रहे पायलट
पायलट धरने पर इसलिए बैठ रहे हैं क्योंकि उनका कहना है कि पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की सरकार में 45 हजार करोड़ रुपयों का खान घोटाला हुआ था। उसके बाद वर्तमान सीएम ने इस घोटाले की जांच के लिए कुछ खास नहीं किया। सीएम गहलोत पर सचिन पायलट ने आरोप लगाए हैं कि सीएम खुद नहीं चाहते इस मामले में कुछ हो। उनका यह भी कहना है कि विपक्ष उन पर मिलीभगत करने का आरोप लगा रहा है। इसलिए वे इस मामले में कार्रवाई चाहते हैं। कार्रवाई नहीं होने की सूरत में वे अपनी ही सरकार के खिलाफ 11 अप्रेल को अनशन पर हैं। इसी दिन महात्मा ज्योतिबा राव फुले, जो कि समाज सुधारक थे... उनकी जयंती भी है।
अब पायलट को झटका क्यों लगा, वो पढ़िए
दरअसल पहले प्लानिंग थी कि पायलट के साथ उनके गुट के नेता जिनमें मंत्री और विधायक भी शामिल हैं, वे भी बैठेंगे और अनशन का हिस्सा बनेंगे। लेकिन आज तड़के आलाकमान ने एक मौखिक आदेश निकाल दिया कि जो भी नेता धरने में सचिन के साथ जाएगा, वह अंजाम भुगतेगा। इसी मौखिम धमकी के कारण सचिन के साथ कोई भी बड़ा नेता नहीं दिखेगा। इसलिए वे चिंचित नजर आ रहे हैं। हांलाकि इसे कवर करने के लिए वह कह भी रहे हैं कि उन्होनें ही सभी साथी नेताओं को आने से मना कर दिया, यह लड़ाई उनकी है।
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