cm ashok gehlot vs pilot: रंधावा के सहयोग के लिए आए तीन अन्य सहायक प्रभारी, सबका लक्ष्य एक ही...

Published : Apr 22, 2023, 07:09 PM IST
सचिन पायलट जसविंदर रंधावा

सार

राजस्थान में चुनावी साल में भी सीएम अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम पायलट के बीच विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। इसके चलते प्रदेश प्रभारी का सहयोग देने अन्य प्रभारी नियुक्त किए। उद्देश्य एक ही की चुनाव से पहले मनभेद और मतभेद दोनों खत्म हो।

जयपुर (jaipur news). कांग्रेस के दिग्गज नेता जसविंदर सिंह रंधावा जो कि वर्तमान में राजस्थान कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी है। दबंग और शक्ति से अपनी बात रखने वाले रंधावा के भी राजस्थान काबू में नहीं आ रहा है। यही कारण है कि अब रंधावा की मदद के लिए कांग्रेस ने 3 सह प्रभारी लगाए हैं। अब सभी लोग मिलकर आने वाले चुनाव की तैयारियां करेंगे। सभी को एक ही टारगेट दिया गया है कि नेताओं में हो रहा मतभेद और मनभेद पूरी तरह से खत्म करवाया जाए, इसे लेकर हम सोमवार से फिर से बैठकों का दौर शुरू होगा।

नहीं कर पाए गेहलोत व पायलट का मतभेद दूर

दरअसल पार्टी के फैसले से रंधावा का पद भी कुछ कम हुआ है। रंधावा को पार्टी ने नियुक्त किया था कि वह सचिन पायलट और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत दोनों के बीच का मतभेद खत्म करें, क्योंकि पार्टी के लिए दोनों ही नेता जरूरी है। लेकिन रंधावा की मौजूदगी में राजस्थान में अपनी ही पार्टी के खिलाफ सचिन पायलट अनशन पर बैठे। इससे बड़ी अनुशासनहीनता आज तक पार्टी में नहीं हुई। अनुशासनहीनता होने के बावजूद भी सचिन पायलट का बाल तक बांका नहीं हुआ। इन सभी घटनाक्रमों मे रंधावा की इमेज को हल्का कर दिया। यही कारण रहा कि अब पार्टी ने तीन और सह प्रभारी बनाए हैं।

सभी का उद्देश्य एक ही चुनाव से पहले हो सब सही

इनमें काजी निजामुद्दीन, अमृता धवन और वीरेंद्र सिंह राठौड़ के नाम है। साथ ही राजस्थान के सह प्रभारी रहे तरुण कुमार को एआईसीसी के सचिव पद से हटाया गया है। काजी निजामुद्दीन राजस्थान में पहले भी सह प्रभारी रह चुके हैं । रही अमृता धवन की बात तो वे दिल्ली की नेता है और दिल्ली में तिलक नगर से चुनाव लड़ चुकी है, साथ ही दिल्ली महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुकी है। उधर वीरेंद्र सिंह राठौड़ हरियाणा के रहने वाले हैं और वहां से चुनाव लड़ चुके हैं। वह राजस्थान से पहले गुजरात के सह प्रभारी भी रह चुके हैं । अब यह चारों नेता मिलकर राजस्थान में पार्टी को किस तरह से मजबूत करते हैं यह आने वाला वक्त ही तय करेगा।

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