
Rajasthan Public Transport : राजस्थान में सार्वजनिक परिवहन को सुरक्षित, पारदर्शी और जवाबदेह बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। अब राज्य की 2.5 लाख से अधिक सार्वजनिक परिवहन वाहनों में हाईटेक लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस (VLTD) और इमरजेंसी पैनिक बटन इंस्टॉल किया जाएगा। इस सिस्टम की खास बात ये है कि वाहन के रियल टाइम लोकेशन ट्रैक होगी, ओवरस्पीडिंग पर ऑटोमैटिक चालान कटेगा और खतरे की स्थिति में पैनिक बटन दबाते ही पुलिस मौके पर पहुंचेगी।
परिवहन भवन जयपुर में सोमवार को उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बेरवा ने VLTS कमांड एंड कंट्रोल सेंटर का उद्घाटन किया। इस मौके पर ई-डिटेक्शन सिस्टम पोर्टल और हाईपोथेकशन रिमूवल मॉड्यूल की भी शुरुआत की गई। शुरुआत में यह सिस्टम रोडवेज बसों में सक्रिय किया गया है। जल्दी ही सभी टैक्सी, कैब और कॉन्ट्रेक्ट कैरिज वाहनों में यह डिवाइस लगाना अनिवार्य होगा।
सरकार के अनुसार, इस VLTD सिस्टम से विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी। हर वाहन में पैनिक बटन लगाया जाएगा, जिसे आपात स्थिति में दबाते ही कंट्रोल सेंटर को अलर्ट जाएगा। अलर्ट के साथ वाहन की लाइव लोकेशन, नंबर, रूट और पहचान नंबर सीधे पुलिस के 112 रिस्पॉन्स सिस्टम तक पहुंचाए जाएंगे, जिससे तत्काल सहायता भेजी जा सकेगी।
इस सिस्टम के तहत 145 टोल प्लाजा पर रियल टाइम ट्रैकिंग डिवाइस इंस्टॉल किए गए हैं। अगर कोई वाहन हाईवे पर स्पीड लिमिट पार करता है, बीमा या टैक्स जैसे दस्तावेज वैध नहीं पाए जाते, तो कंट्रोल सेंटर से उसका चालान स्वतः जारी हो जाएगा। वाहन मालिक को एसएमएस से सूचना मिलेगी। ओवरस्पीडिंग की दशा में डिवाइस अपने आप चालान जनरेट करेगा।
AIS-140 मानक के अनुसार, यह डिवाइस जीपीएस आधारित ट्रैकर होगा, जो हर सेकंड वाहन की स्थिति कंट्रोल सेंटर को भेजेगा। इससे राज्य सरकार और पुलिस विभाग को किसी भी गड़बड़ी की जानकारी तुरंत मिल सकेगी। कंट्रोल सेंटर जयपुर स्थित परिवहन भवन में बनाया गया है, जहां 24x7 निगरानी के लिए एक विशेष टीम तैनात रहेगी।
VLTD सिस्टम का हिस्सा बनने वाली कंपनियों को यूनीक आईडी (UID) जनरेट करानी होगी और चार जरूरी दस्तावेज अपलोड करने होंगे – वैध टाइप अप्रूवल सर्टिफिकेट, COP सर्टिफिकेट, कंपनी आईडेंटिफिकेशन नंबर और आवेदन पत्र। केवल वही डिवाइस वाहन में लगाए जा सकेंगे, जो केंद्र सरकार की अधिकृत एजेंसियों द्वारा प्रमाणित और राज्य पोर्टल पर ऑनबोर्ड हों।
केंद्र सरकार की गाइडलाइन के अनुसार, नियम 125 H के तहत सभी स्टेट कैरिज, कॉन्ट्रेक्ट कैरिज (बसें), टैक्सी, मैक्सी कैब और अन्य अप्रूड सार्वजनिक सेवा वाहनों में यह डिवाइस लगाना अनिवार्य है। हालांकि ऑटो और ई-रिक्शा को फिलहाल इससे बाहर रखा गया है।
राजस्थान सरकार का यह कदम न केवल तकनीकी रूप से परिवहन व्यवस्था को सशक्त बनाएगा, बल्कि महिलाओं, बच्चों और आम नागरिकों की सुरक्षा में एक नया युग शुरू करेगा। रियल टाइम ट्रैकिंग, ऑटोमैटिक चालान और इमरजेंसी रेस्पॉन्स जैसी सुविधाएं राजस्थान को देश के सबसे सुरक्षित परिवहन राज्यों में शामिल कर सकती हैं।
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