
जयपुर (jaipur). कांग्रेस आलाकमान के सामने फिर से बड़ी चुनौती है, चुनौती है सचिन पायलट के सवालों का जवाब देना। सचिन पायलट ने 1 महीने के भीतर दूसरी बार अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला है। इस बार पिछली बार की तुलना में कई गुना ज्यादा भीड़ और कई बड़े नेता सचिन पायलट के साथ हैं। ऐसे में अब कांग्रेस आलाकमान का क्या रुख रहने वाला है यह देखना दिलचस्प होगा। वहीं सचिन पायलट के इस आंदोलन से किसे क्या मिलने वाला है, इन 5 आसान बिंदु में समझा जा सकता है।
1- सचिन पायलट ने सबसे बड़ा मुद्दा पकड़ रखा है और वह है भ्रष्टाचार, क्योंकि यह मुद्दा जनता से सीधे जुड़ा हुआ है और अशोक गहलोत सरकार कई बड़े मामलों में भ्रष्टाचार रोकने में नाकाम रहीं है, ऐसे में सचिन पायलट के इस मुद्दे का कांग्रेस सरकार और कांग्रेस आलाकमान के पास कोई जवाब नहीं है।
2- कर्नाटक के चुनाव के बाद कांग्रेस राजस्थान जीत दोहराने की कोशिश करेगी। ऐसे में सभी नेताओं को साथ लेकर चलने का आलाकमान का मैसेज है। लेकिन पायलट और अशोक गहलोत दोनों में ठनी हुई है , ऐसे में दोनों को साथ लाना आलाकमान के सामने बड़ी चुनौती है। इसका रास्ता निकालने की कोशिश शुरू कर दी गई है।
नंबर 3 - 5 दिन तक सड़कों पर यात्रा निकालने वाले सचिन पायलट ने फिर से दिखा दिया है कि उनके साथ जनता की ताकत है। इस बार जो भीड़ मौजूद रही है वह कांग्रेस आलाकमान को सचिन पायलट के बारे में सोचने को मजबूर कर रही है। संभव है पायलट को बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है।
नंबर 4- 5 दिन की जन संघर्ष यात्रा के बाद सचिन पायलट के स्वागत के लिए जो 16 नेता और विधायक पहुंचे हैं इससे पार्टी में उनका कद बढ़ा है ऐसे में अगर आलाकमान भीड़ और नेताओं के समूह को कम आंकता है तो यह परेशानी खड़ी करने वाला हो सकता है ।
नंबर 5 - सचिन पायलट पहले ही कह चुके हैं कि वे किसी दूसरी पार्टी में नहीं जा रहे हैं और ना ही दूसरी पार्टी बनाएंगे। ऐसे में उन्हें फिर से मुख्यमंत्री बनाने की आवाज उठने लगी है। हालांकि अब चुनाव में चंद महीनों का समय बचा है, ऐसे में सचिन पायलट अब आने वाले चुनाव में कांग्रेस का मुख्यमंत्री चेहरा बनने की कोशिश में है। उनके साथी नेता भी यही चाहते हैं।
सबसे बड़ा सवाल यह कि सचिन पायलट की 5 दिनी जन संघर्ष यात्रा में राजस्थान की जनता को क्या मिला तो उसका एक ही जवाब है, कि राजस्थान की जनता को सिवाए वादे और भाषणों के कुछ नहीं मिला है।
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