अब वीरांगनाओं के सामने वीरांगनाओं को उतारने की तैयारीः सीएम गहलोत ने खेला नहले पर दहला का दाव, पढ़ें पूरी खबर
जयपुर (jaipur news). पुलवामा में जान गंवाने वाले जवानों की पत्नियों द्वारा देवर को नौकरी देने के विवाद में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का नहले पर दहला वाला दांव खेला है। पूर्व में जंग में जान गंवाने वाले जवानों की वीरांगनाओं को खड़ा किया सामने।
पुलवामा में शहीद हुए राजस्थान के जवानों की पत्नियों का विवाद जयपुर में जारी है। कोटा, भरतपुर और जयपुर से आई 3 वीरांगनाओं ने अपने देवर और अन्य रिश्तेदारों को नौकरी देने की मांग की है। इसी मांग को लेकर 10 दिन से भारतीय जनता पार्टी ने बड़ा मुद्दा बना लिया है।
राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा इस पूरे मामले को लीड कर रहे हैं। उनका यह कहना है कि मुख्यमंत्री को शहीद परिवार के सदस्यों को एक नौकरी देनी है तो फिर यह नौकरी शहीद के बच्चों की जगह उनके परिजनों को भी दी जा सकती है।
जबकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस बात का यह जवाब दिया है कि यह नौकरी शहीदों के बच्चों के लिए ही है और उन्हें ही मिलेगी। 10 दिन से कांग्रेस और बीजेपी के बीच में यही बवाल जारी है।
लेकिन अभी कुछ देर पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस पूरे घटनाक्रम में नहले पर दहला मार दिया है। दरअसल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कुछ जिलों से कुछ महिलाओं को मुख्यमंत्री आवास पर मिलने बुलाया। यह महिलाएं अन्य लड़ाई में शहीद हुए सैनिकों की पत्नियां थी।
मुख्यमंत्री ने इन से संवाद किया और यह चर्चा की की शहीदों के बच्चों को मिलने वाली नौकरी क्या उनके अन्य रिश्तेदारों को दी जा सकती है, तो ऐसे में अधिकतर शहीदों की पत्नियों ने यही कहा कि यह नौकरी उनके बच्चों के लिए सुरक्षित रखना जरूरी है।
मुख्यमंत्री आवास पर करीब 1 घंटे तक मुख्यमंत्री ने कई शहरों से आई वीरांगनाओं से संवाद किया और उसके बाद उन्हें यह सम्मान सरकारी वाहनों में फिर से उनके घर के लिए रवाना कर दिया गया । हालांकि मुख्यमंत्री ने उन तीनों शहीद वीरांगनाओं से संवाद नहीं किया जो पिछले 10 दिन से जयपुर में धरना प्रदर्शन पर थी।
इस धरने प्रदर्शन को राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा लीड कर रहे थे । परसों रात को यह धरना जबरन खत्म कराया गया। उसके बाद तीनों वीरांगनाओं को उनके गृह जिले में स्थित अस्पतालों में पुलिस सुरक्षा में भर्ती कराया गया। वहीं सांसद किरोडी लाल मीणा को पुलिस झड़प के बाद s.m.s. अस्पताल में भर्ती कराया गया।
इस पूरे घटनाक्रम को लेकर अब मुख्यमंत्री जल्द ही जवाब देने की तैयारी में है। लेकिन वीरांगना महिलाओं के साथ हुई मुख्यमंत्री की इस बैठक में यह तय हो गया है कि किसी भी कीमत पर शहीद के बच्चों को मिलने वाली नौकरी परिवार के अन्य सदस्यों को नहीं दी जाएगी।