
जयपुर। स्कूलों को बच्चों की सुरक्षित जगह माना जाता है, जहां सीखने के साथ संवेदनशीलता और सुरक्षा की उम्मीद की जाती है। लेकिन जयपुर के प्रतिष्ठित नीर्जा मोदी स्कूल की एक घटना ने इस भरोसे को हिला दिया है। नौ साल की एक मासूम बच्ची, जिसने बार-बार मदद मांगी, बार-बार टीचर के पास पहुंची, बार-बार अपनी व्यथा सुनाई… लेकिन उसे न सुना गया और न समझा गया। नतीजा ये हुआ कि वह बच्ची, जो अपने डर और दर्द से लड़ते हुए अकेली पड़ गई, चौथी मंजिल से कूदकर अपनी जान दे बैठी।
सीबीएसई की दो सदस्यीय जांच टीम की रिपोर्ट ने कई गंभीर खुलासे किए हैं। कक्षा 4 की छात्रा अमायरा कुमार मीणा को 18 महीने तक सहपाठियों ने परेशान किया, चिढ़ाया, गलत शब्द कहे, और कई बार उसे ऐसी बातें कही गईं जिनका प्रभाव गहरा और तकलीफदेह था। परिजनों ने बताया कि शिकायतें कई बार स्कूल तक पहुंचीं, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। कक्षा शिक्षिका पूनिता शर्मा ने बच्चे और उसके माता-पिता की शिकायतों को नजरअंदाज कर दिया।
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जांच रिपोर्ट के अनुसार, 1 नवंबर की सुबह अमायरा सामान्य दिख रही थी। वह नाच रही थी, हंस रही थी और गोलगप्पे खा रही थी। लेकिन 11 बजे के बाद परिस्थितियां बदल गईं। क्लास के डिजिटल स्लेट पर कुछ लड़कों के ग्रुप ने कुछ ऐसा लिखा, जिससे अमायरा बेहद परेशान हो गई। सीसीटीवी फुटेज में वह झेंपती, असहज होती और बार-बार दूसरों से सामान हटाने की गुहार लगाती दिखी। यह वह समय था जब उसे शिक्षक के सहयोग की सबसे ज्यादा जरूरत थी, रिपोर्ट में कहा गया है कि अमायरा पांच बार टीचर के पास गई, 45 मिनट तक मदद मांगती रही, लेकिन उसे डांटकर टाल दिया गया।
रिपोर्ट में कहा गया कि कक्षा शिक्षिका ने कई बार कक्षा के सामने ऐसे शब्द कहे जो बच्चों को भी चौंकाने वाले लगे। अमायरा खुद को अकेला और प्रताड़ित महसूस कर रही थी। उसने उस दिन अपना खाना भी नहीं खाया। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि क्लासरूम में कुछ बच्चों के बीच विवाद हुआ था, जिसमें आपत्तिजनक भाषा और कमेंट शामिल थे।
जांच में यह भी सामने आया कि जिस जगह बच्ची गिरी और उसकी मौत हुई, उसे स्कूल प्रबंधन ने धुलवा दिया, जिससे फॉरेंसिक जांच के लिए जरूरी साक्ष्य मिट गए।
रिपोर्ट में कई पुराने मामलों का उल्लेख किया गया है:
इन घटनाओं ने अमायरा का आत्मविश्वास पूरी तरह तोड़ दिया।
सीबीएसई ने पाया कि:
इन सभी चूकों को गंभीर लापरवाही माना गया है।
सीबीएसई ने स्कूल से 30 दिनों के भीतर यह बताने को कहा है कि उसके खिलाफ कार्रवाई क्यों न की जाए, खासकर उन प्रावधानों के तहत जो बच्चों के यौन अपराधों से संरक्षण अधिनियम (POCSO Act) में आते हैं।
रिपोर्ट में कहा गया कि अमायरा एक होनहार, खुशमिजाज और हर गतिविधि में आगे रहने वाली छात्रा थी। लेकिन लंबे समय तक चले मानसिक उत्पीड़न, शिक्षिका की असंवेदनशीलता और स्कूल की लापरवाही ने उसकी जिंदगी छीन ली।
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Disclaimer: आत्महत्या किसी समस्या का हल नहीं है। अगर आपके मन में भी सुसाइड या खुद को चोट पहुंचाने जैसे ख्याल आ रहे हैं तो आप फौरन घर-परिवार, दोस्तों और साइकेट्रिस्ट की मदद ले सकते हैं। इसके अलावा आप इन हेल्पलाइन नंबरों पर कॉल करके भी मदद मांग सकते हैं। आसरा (मुंबई) 022-27546669, सुमैत्री (दिल्ली) 011-23389090, रोशनी (हैदराबाद) 040-66202000, लाइफलाइन 033-64643267 (कोलकाता)। मानसिक तनाव होने पर काउंसलिंग के लिए हेल्पलाइन नंबर 14416 और 1800 8914416 पर संपर्क कर घर बैठे मदद पा सकते हैं।
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