झुंझुनू (jhunjhunu news). राजस्थान के झुंझुनू जिले के रहने वाले जवान श्योराम गुर्जर की प्रतिमा का अनावरण है। लेकिन वीरांगना को अब भी अपनी पति की प्रतिमा से ज्यादा जो चिंता है वह है अपने परिवार और खुद के पेट पालने की, क्योंकि सरकार इस परिवार को मूर्ति तो लगवा कर दे रही है लेकिन अनुकंपा पर नौकरी नहीं दे रही है। नौकरी लेने के लिए वीरांगना दर बदर भटकती हुई जा रही है लेकिन उसके रास्ते का कोई हल नहीं निकल पाया है।
पुलवामा हमले के मास्टरमाइंड को गोलियों से भूना था
आपको बता दें कि गुर्जर शहादत से करीब 18 साल पहले नौकरी लगे थे उनमें राम जिन्होंने पुलवामा हमले के दौरान मास्टरमाइंड कामरान गाजी और दो अन्य आतंकवादियों को अपनी गोलियों से भून दिया था। इसके बाद उनकी भी जान चली गई। सरकार ने उनके परिवार को सम्मान देने साथ अनुकंपा नियुक्ति का भी भरोसा दिलाया।
कई बार अधिकारियों से मुलाकात की पर नतीजा वहीं
जिसके बाद वीरांगना सुनीता ने पहले तो खुद के जिला मुख्यालय पर कई बार अधिकारियों से अनुकंपा पर नौकरी के लिए वार्ता की लेकिन हर बार उसे मिला तो केवल आश्वासन। लोगों के कहने पर सुनीता ने केवल झुंझुनू ही नहीं बल्कि सीकर, जयपुर और अजमेर सहित करीब 10 से ज्यादा जिलों में चक्कर लगाए। वहां से भी उसे एक जगह से दूसरी जगह भेज दिया।
वीरांगना ने बताई अपनी आपबीती
वीरांगना सुनीता का कहना है कि उसने सरकारी नौकरी के लिए जो डाक्यूमेंट्स जमा करवाए थे वह 3 दिन पहले ही उसे वापस लौटा दिए गए। और कहा गया कि उसे थर्ड ग्रेड टीचर की नौकरी करने के लिए रीट एग्जाम क्वालीफाई करना पड़ेगा। सुनीता का कहना है कि रीट की अगर उससे क्लियर होती तो वह बिना अनुकंपा के ही नौकरी लग जाती। लेकिन उन्हें शहीद कोटे से अनुकंपा नौकरी लेने के लिए बार-बार परेशान किया जा रहा है। फिलहाल अब देखना होगा की मूर्ति का अनावरण होने के बाद आखिरकार सुनीता को कितने दिनों तक अनुकंपा नौकरी का इंतजार करना होगा।
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