अंधविश्वास ने ले ली 10 साल के मासूम की जान: बाबा-हकीम नीम के पत्तों में लपेटकर इलाज का करते रहे ढोंग, आ गई मौत

इस आधुनिक दौर में जहां लगभग सभी बीमारी का इलाज मौजूद है उस समय भी एक मासूम को सांप के काटने के बाद बाबा हकीम को दिखाया जहां वे लोग इलाज का ढोंग करते रहे वहीं सही ट्रीटमेंट नहीं मिलने से मासूम की जान चली गई। सनसनीखेज मामला राजस्थान के करौली का है।

करौली (karauli news). राजस्थान के करौली जिले से एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। यहां एक परिवार के लोग अपने बेटे को सांप के काटने के बाद तांत्रिक के चक्कर में आ गए। अंधविश्वास करने में लग गए। नतीजा यह निकला कि अब उसे 10 साल के बच्चे की मौत भी हो चुकी है। घरवालों ने यह अंधविश्वास एक ही नहीं बल्कि दो बार किया।

मां की मदद करने खेत गया था मासूम

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दरअसल करौली जिले के हिंडौन थाना क्षेत्र के सिकंदरपुर गांव के रहने वाले संजय का बेटा केशव अपने खेत में अपनी मां के साथ गया हुआ था। वह खेत में काम ही करवा रहा था कि इसी दौरान उसे एक किस सांप ने काट लिया। जिससे बेहोश हो गया। परिवार वाले उसे तुरंत एक रुपए के भोपे के पास लेकर गए। जहां उस भोपे ने 4 घंटे तक केशव का इलाज करने की कोशिश की। लेकिन केशव की हालत में कोई भी सुधार नहीं आया। फिर उसे हॉस्पिटल ले जाया गया। जहां डॉक्टर ने भी कह दिया कि हालात उनके काबू से बाहर है।

बड़े हॉस्पिटल ले जाने के बजाए फिर ले गए तांत्रिक के पास

लेकिन परिवार के लोग कहां मानने वाले थे। परिवार के लोग उसे एक दूसरे तांत्रिक के पास लेकर गए। जिसने केशव को इलाज के लिए नीम के पत्तों के बीच सुला कर अपनी तंत्र विद्या करना शुरू कर दिया। वह पूरी रात ढोंग करता रहा लेकिन बावजूद इसके केशव में कोई बदलाव नहीं हुआ। जब बाबा के इलाज के बाद भी मासूम की तबीयत ठीक नहीं हुई तो सुबह घरवाले उसे हॉस्पिटल लेकर गए तो वहां डॉक्टर ने केशव को मृत घोषित कर दिया।

घरवालों का अंधविश्वास ले गया मासूम की जान

जब एक डॉक्टर ने केशव को मृत घोषित कर दिया तो उसके परिवार वाले फिर भी नहीं माने और वापस तांत्रिक के पास लेकर आए। लेकिन जब कोई हरकत नहीं हुई तो परिवार वाले उसे वापस हॉस्पिटल लेकर गए और पोस्टमार्टम करवा कर शव को ले लिया। इस मामले में डॉक्टर्स का कहना है कि जब भी इस तरह की कोई घटना हो तो इन तांत्रिक यां किसी बाबा के चक्कर में आने की बजाय तुरंत हॉस्पिटल से इलाज करवा लेना चाहिए क्योंकि केवल इलाज मात्र से ही मरीज की जान बच सकती है बजाय इसके कि कोई झांड़ फूंक की जाए।

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