रामा श्यामा को देखने के लिए काफी संख्या में लोगों की भीड़ जमा होती है। हालांकि इस दौरान लोग अपनी सुरक्षा का पूरा ध्यान रखते हुए घरों की छतों आदि पर मौजूद रहते हैं। पुलिस प्रशासन के लोग भी वहां पर मौजूद रहते हैं।
राजस्थान का एक जिला ऐसा है जहां पर दिवाली की रामा श्यामा करना जाम जोखिम में डाल सकता है । कोई नया व्यक्ति अगर यहां के लोगों का रामा श्यामा करने का तरीका देख ले तो उसके रोंगटे खड़े हो जाएं। यह सब कुछ देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग यहां पहुंचते हैं और कुछ तो इसमें शामिल भी होते हैं। दरअसल राजस्थान के अजमेर जिले में स्थित केकड़ी कस्बे की यह पूरानी प्रथा है। दिवाली के अगले दिन रात को यहां पर घास भैरव की सवारी निकाली जाती है। एक बड़े से पत्थर को भैरव प्रतीक मानकर पूजा जाता है और उसे धकेलते हुए पूरे कस्बे में घुमाया जाता है। मान्यता है की घास भैरव की सवारी पर जो अंगारे यानी जलते हुए पटाखे फेंकता है उसका पूरा साल अच्छा बीतता है। लेकिन धीरे-धीरे इस प्रथा ने अपना रूप बदल लिया है और अब यह प्रथा कई बार जान पर आफत ला रही है।
दरअसल घास भैरव की सवारी निकलने के दौरान हालत बिगड़ने लग जाते हैं और लोग अपने-अपने घरों में चढ़ जाते हैं । उसके बाद वे लोग रोड से गुजरने वाले हुडदंगियों पर नजर रखते हैं। घास भैरव की सवारी के दौरान अचानक दो गुट बन जाते हैं और यह लोग एक दूसरे पर सुतली बम , रॉकेट और अन्य आतिशबाजी से हमला कर देते हैं । इसे देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग आते हैं। पुलिस भी कुछ नहीं कर पाती और यह पूरा घटनाक्रम दिवाली की अगली रात कई घंटे तक जारी रहता है।
हालांकि इस तरह की प्रथा के बाद कोई बहुत ज्यादा चोटिल नहीं होता , लेकिन फिर भी यह प्रथा जान जोखिम में जरूर डाल सकती है। महिलाएं और छोटे बच्चे घरों में कैद हो जाते हैं और बुजुर्ग भी घर से बाहर नहीं निकलते हैं। अंगारों की यह होली देखने और इसमें शामिल होने आसपास के जिलों के लोग केकड़ी कस्बे में पहुंचते हैं। यह दिवाली के अगले दिन कई घंटे चलता है।