
कोटा. राजस्थान ही नहीं बल्कि देशभर में हम युवाओं के जैन धर्म की दीक्षा लेने की कई कहानियां सुनते हैं। लेकिन राजस्थान के कोटा इलाके से अनोखा ही मामला सामने आया है। यहां एक 12 साल के बच्चे ने जैन धर्म की दीक्षा ली है। केवल 8 साल की उम्र में उसने संत बनने का निर्णय कर लिया था। अब इस बच्चे की चर्चा पूरे देश में है।
बच्चों से संत बनने वाले विजय चंद्र सागर मूल रूप से कोटा शहर के तिलक नगर के रहने वाले हैं। इनका परिवार वर्तमान में बारां जिले में रह रहा है। विजय चंद्र सागर के चाचा विनय कुमार बताते हैं कि हकीकत में इनका नाम कल्प है। जो जन्मे तो कोटा में थे लेकिन बाद में उनके पिता विजय अपने व्यापार के सिलसिले में मैसूर चले गए। यहां अपने परिवार के साथ रहते थे। उन दिनों वहां आचार्य नय चंद्र सागर पधारे हुए थे। उनके प्रवचन के कार्यक्रम में कल्प भी अपने परिवार के साथ गया हुआ था। उस वक्त उसकी उम्र केवल 8 साल ही थी।
वहां से वापस लौटने के बाद वह इतना प्रभावित हुआ कि उसने दीक्षा लेने की बात अपने घर पर बताई। घरवाले भी इस बात के लिए तैयार हो गए। इसके बाद कल्प ने 3 साल तक नय चंद्र सागर के साथ ही पैदल विहार किया। और 12 साल की उम्र में गुजरात में दीक्षा ली। और फिर वह विजय चंद्र सागर बन गए।
अब विजय चंद्र सागर देश के अलग-अलग हिस्से में जाकर चातुर्मास करते हैं। इनकी कहानी से प्रभावित होकर जैन धर्म में कई युवा और छोटे बच्चे अब दीक्षा ले रहे हैं। कल्प से विजय चंद्र सागर बनने वाले संत का कहना है कि जब आंख खुल जाए तब ही सवेरा होता है। संयम के पथ पर चलने से बेहतर और कुछ भी नहीं।
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