
Maharana Pratap Jayanti 2025 : महाराणा प्रताप जयंती के अवसर पर उदयपुर में आयोजित समारोह में राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने इतिहास की प्रस्तुति पर गहरी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि भारत का प्रारंभिक इतिहास अधिकतर विदेशियों ने लिखा और उसमें कई तथ्य भ्रामक या अधूरे हैं, जिससे भारतीय वीरों को उनका उचित स्थान नहीं मिल पाया।
राज्यपाल ने विशेष रूप से महाराणा प्रताप और मुगल सम्राट अकबर के संदर्भ में ऐतिहासिक भ्रम पर बात की। उन्होंने कहा कि अकबर और आमेर की राजकुमारी के विवाह की कहानी ऐतिहासिक रूप से प्रमाणित नहीं है, बल्कि यह एक मनगढ़ंत कथा हो सकती है। उन्होंने कहा कि “अकबरनामा” और समकालीन ऐतिहासिक ग्रंथों में भी इस विवाह का कोई ठोस उल्लेख नहीं मिलता। राजा भारमल ने अकबर का विवाह एकादशी की बेटी से करवाया था।
राज्यपाल ने यह भी कहा कि स्कूलों में आज भी छात्रों को अकबर के बारे में अधिक पढ़ाया जाता है, जबकि महाराणा प्रताप जैसे स्वाभिमानी और राष्ट्रभक्त योद्धा के योगदान को सीमित रूप में रखा गया है। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सराहना करते हुए कहा कि अब नई पीढ़ी को अपने वास्तविक इतिहास से परिचित कराने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि महाराणा प्रताप और छत्रपति शिवाजी महाराज समकालीन होते, तो देश की दिशा और दशा बहुत भिन्न होती। दोनों ही योद्धा आत्मगौरव, राष्ट्रभक्ति और स्वतंत्रता के प्रतीक हैं। शिवाजी के वंशज भी स्वयं को मेवाड़ के सिसोदिया वंश से जोड़ते हैं, जो उनकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक एकता को दर्शाता है।
कार्यक्रम में राज्यपाल ने भारत-पाक सीमा पर रहने वाले ग्रामीणों की भी प्रशंसा की, जो मुश्किल परिस्थितियों में भी सेना का मनोबल बढ़ाते हैं। उन्होंने कहा, "यही असली भारत है – निडर, देशभक्त और संस्कृति-संरक्षक।"
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