
पाली. राजस्थान के पाली शहर में रहने वाली 24 साल की शबाना की कोख में जुड़वा बच्चे थे । दोनों बच्चे आड़े तिरछे थे और उनके बचने का चांस बहुत कम था। 8 मई को परिवार के लोगों ने प्रसव पीड़ा होने के बाद शबाना को अस्पताल में भर्ती कराया। सरकारी अस्पताल बांगड़ में गायनी के डॉक्टर शिवचरण मीणा ने इलाज शुरू किया। सोनोग्राफी देखकर डॉक्टर का कहना था बच्चों या मां में से कोई एक ही बचेगा , लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था ।
7 डॉक्टरों की टीम ने 2 घंटे में कराई डिलीवरी
9 मई को शबाना को वेंटिलेटर पर लिया गया। ब्लड प्रेशर अपसेट था । कभी तेज तो कभी बिल्कुल लो पर जा रहा था, लेकिन 7 डॉक्टरों की टीम ने 2 घंटे के प्रयास के बाद सिजेरियन डिलीवरी करवाई।
मदर्स डे पर शबना को अस्पताल से दी छुट्टी
डिलीवरी के कई घंटों तक शबाना को होश नहीं आया तो परिवार और डॉक्टर चिंता में पड़ गए । लेकिन देर रात होश में आने पर शबाना ने सबसे पहले अपने बच्चों को दुलारा डॉक्टरों का कहना था कि अगले 4 दिन बेहद क्रिटिकल है। 4 दिन अस्पताल में रहने के बाद आखिर आज शबाना और उसके दोनों बच्चों को सवेरे अस्पताल से छुट्टी दी गई है ।
डॉक्टर के पास विकल्प, यां मां बचेगी या फिर बच्चे
गायनी के डॉक्टर शिवचरण मीणा जो कि बांगड़ अस्पताल में इस ऑपरेशन को लीड कर रहे थे। उन्होंने कहा शबाना का पति नासिर जब मिलने आया उसने बताया कि बच्चों और मां में से एक को बचाया जा सकता है, तो वह चिंता में पड़ गया । लेकिन हमारी टीम ने पूरी मेहनत की, पॉजिटिव एनर्जी के साथ काम किया और दोनों बच्चों और मां को बचा लिया गया।
इस कंडीसन में मां और बच्चे में से होती है एक की मौत
डॉक्टर शिवचरण मीणा ने कहा कि गर्भ में बच्चों के आड़े तिरछे होने की बीमारी में 80 फ़ीसदी चांस नहीं होते हैं कि मां और बच्चों में से किसी एक की मौत होती है। इस स्थिति को एक्लेंपसिया कहा जाता है। सैकड़ों गर्भवती महिलाओं में से किसी एक को यह समस्या होती है । यही समस्या शबाना के साथ लेकिन आज उसे डिस्चार्ज करने पर अस्पताल स्टाफ के साथ साथ परिवार भी खुश है । आज मदर्स डे पर मां को उन दो बच्चों का प्यार मिल रहा है, जो 2 बच्चे इस दुनिया में आने से पहले अपनी मां को खो देने वाले थे.......।
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