ईरान इजरायल में युद्ध : लेकिन टेंशन में राजस्थान के किसान, जानिए क्या है मामला

Published : Jun 19, 2025, 07:02 PM ISTUpdated : Jun 19, 2025, 07:04 PM IST
Indian farmer cheated online

सार

israel iran war live update : ईरान-इजरायल युद्ध का असर भारत तक है। खासकर इंडिया के किसानों को, इस वार के कारण धान के दाम गिर गए हैं। अगर यह संघर्ष नहीं रूका तो देश के लाखों लोग बेरोजगार हो जाएंगे।

israel iran war live update : ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते तनाव और संघर्ष का प्रभाव अब वैश्विक सीमाओं से निकलकर भारत की आंतरिक अर्थव्यवस्था तक पहुंचने लगा है। राजस्थान के हाड़ौती क्षेत्र की मंडियों में धान की कीमतों में अचानक गिरावट आई है, जिससे किसान, व्यापारी और चावल मिल मालिक सभी परेशान हैं।

राजस्थान के चावल की ईरान तक डिमांड

हाड़ौती क्षेत्र, खासकर कोटा, बारां, झालावाड़ और बूंदी, चावल उत्पादन और निर्यात के लिए देशभर में प्रसिद्ध है। यहां का बासमती और सुगंधित चावल न केवल देश में, बल्कि खाड़ी देशों जैसे ईरान और यूएई में भी काफी मांग में रहता है। लेकिन हाल ही में शुरू हुए ईरान-इजरायल संघर्ष के कारण चावल का निर्यात ठप हो गया है, जिससे मंडियों में सप्लाई बढ़ गई और कीमतों में तेज गिरावट दर्ज की गई है।

israel iran war से राजस्थान के किसानों को इतना घाटा

स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि पहले जहां प्रति क्विंटल धान की कीमत करीब 3900 रुपये थी, वह अब घटकर 3200 रुपये तक आ गई है। यानी सीधे 700 से 1000 रुपये की गिरावट। कोटा मंडी से जुड़े एक व्यापारी ने बताया कि हाड़ौती से हर साल लगभग 50 लाख टन चावल विदेशों को निर्यात होता था, जिसमें से बड़ा हिस्सा ईरान को भेजा जाता था। लेकिन संघर्ष के चलते बंदरगाहों पर शिपमेंट अटक गई है और 1 जुलाई को होने वाली डिलीवरी अब सितंबर तक टाल दी गई है। इस स्थिति ने किसानों को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है। 

ईरान इजरायल युद्ध से भारत के लाखों लोग होंगे बेरोजगार

मंडियों में पहले से ही 3 करोड़ से अधिक धान की बोरियां पहुंच चुकी हैं, लेकिन निर्यात रुकने के कारण पेमेंट अटका पड़ा है। छोटे किसान और मज़दूर वर्ग नकद भुगतान पर निर्भर हैं, जिससे उनकी रोजमर्रा की जरूरतें भी प्रभावित हो रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि संघर्ष जल्द नहीं थमता, तो चावल उद्योग से जुड़े लाखों लोगों के रोजगार पर संकट गहरा सकता है। सरकार और निर्यात संगठनों को इस दिशा में जल्द कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि मंडी की स्थिरता बनी रहे।

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