
दांतारामगढ़। हमेशा हम सुनते और देखते आए हैं कि पालतू पशु की प्रजनन क्षमता काफी ज्यादा होती है। लेकिन क्या आपने कभी सुना है कि किसी वन्य जीव के हजारों बच्चे हो,सुनने में यह आपको भले ही अजीब लग रहा हो लेकिन यह हकीकत है। राजस्थान में एक सांड ऐसा भी है जिसके करीब 5500 बच्चे हैं। हम बात कर रहे हैं राजस्थान के सीकर जिले के दांतारामगढ़ क्षेत्र की....
यहां के नजदीकी पचार गांव में स्थित गोपाल गौशाला का संचालन पिछले लंबे समय से किया जा रहा है। यह गौशाला गायों के रखरखाव के लिए प्रसिद्ध है। यहां पर सैकड़ों पालतू पशुओं को पाला जाता है। यहां पर ही यह सांड है जो अब तक करीब 5500 से ज्यादा बछड़ों को पैदा कर चुका है।
ये सांड गौशाला में एकदम राजा की तरह रहता है। जिसकी डाइट भी बाकी पशुओं की तुलना में काफी अलग है। वही सबसे चौंकाने वाली बात तो यह है कि इसे गौशाला में बांधकर नहीं रखा जाता। जब इसकी इच्छा होती है तो यह घूमने निकल जाता है और शाम को वापस अपने आप ही गौशाला में लौट कर आ जाता है। इसलिए इसे बांधा नहीं जाता।
दिखने में ही यह बाकी सांडों से एकदम अलग और भारी भरकम लगता है। गौशाला का संचालन करने वाले राहुल प्रजापत बताते हैं कि इस प्रजनन करने के लिए 15 दिन गाय के बाड़े में छोड़ दिया जाता है। जहां यह कई गायों तक प्रजनन करता है।
इसकी नस्ल अच्छी होने के चलते इसकी डिमांड इतनी ज्यादा है कि दूर-दूर से आने वाले गौपालक यहां से स्पर्म लेकर जाते हैं या फिर अपनी गाय को कुछ दिनों के लिए यहां पर छोड़ देते हैं। राहुल बताते हैं कि इस सांड को एक आम इंसान जैसी ही डाइट दी जाती है।
इस सांड की डाइट भी काफी भारी भरकम है। 15 दिनों के दौरान बाजरा, दलिया, गुड़ और चने सब्जियां जैसे आइटम दिए जाते हैं। गौशाला संचालक राहुल बताते हैं कि सांड की हमेशा से प्रजनन क्षमता यही रही है। इसलिए उसे अच्छी डाइट दी जाती है। सांड की ये कैपेसिटी गॉड गिफ्टेड ही है। इसकी नस्ल इतनी खास है कि दूर-दूर से गौपालक इसकी सेवाएं लेने आते हैं। कुछ लोग इसके स्पर्म लेकर जाते हैं, तो कुछ अपनी गायों को यहां प्रजनन के लिए छोड़ते हैं। राहुल प्रजापत का कहना है कि यह सांड अपनी प्रजनन क्षमता के कारण इतना खास है। इसे गॉड गिफ्टेड मानते हुए इसकी देखभाल में कोई कसर नहीं छोड़ी जाती।
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