
कोटा। राजस्थान के कोटा जिले के सातलखेड़ी गांव का लड़का, मेघराज, 15 साल बाद अपने परिवार से मिलकर पूरे गांव की खुशियों का कारण बन गया। यह मिलन किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं था।
साल 2009 में मात्र 6 साल का मेघराज अपने भाई के साथ रामगंज मंडी रेलवे स्टेशन पर डिस्पोजल इकट्ठा कर रहा था। इसी दौरान एक पुलिस कर्मी की डांट से डरकर वह एक ट्रेन में छिप गया। यह ट्रेन उसे कोटा से दूर तेलंगाना तक ले गई, और यहीं से उसकी जिंदगी ने नया मोड़ लिया।कोटा। यह घटना मेघराज के लिए एक नई शुरुआत थी, क्योंकि इसके बाद वह परिवार से बिछड़ गया। परिवार ने उसकी खोजबीन शुरू की लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
कोटा पुलिस के विशेष ऑपरेशन 'हर्ष' के तहत मेघराज को 15 साल बाद तेलंगाना से परिवार को सौंपा गया। दरअसल, मेघराज मेला देखने के दौरान ट्रेन में बैठ गया और धीरे-धीरे मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र होते हुए हैदराबाद पहुंच गया। वहां काचीगुडा स्टेशन पर उसे स्थानीय पुलिस ने पकड़ा और बालक से जानकारी ली। हालांकि, मेघराज अपनी भाषा के कारण सही जानकारी नहीं दे सका और पुलिस ने उसे बिहार से संबंधित समझ लिया। काफी समय तक उसे बिहार में ही ढूंढा गया, लेकिन जब कोई सुराग नहीं मिला तो उसे आश्रम में भेज दिया गया।
साल 2016 में मेघराज की गुमशुदगी की रिपोर्ट सुकेत थाने में दर्ज की गई थी और उसके बाद कोटा पुलिस ने उसे ढूंढने के लिए अभियान चलाया। अंततः ऑपरेशन हर्ष के तहत मेघराज से संपर्क हुआ और उसे 15 साल बाद उसके परिवार के पास वापस भेजा गया। इस मिलन के समय का दृश्य बेहद भावुक था, जब एक छोटा सा बच्चा अब एक साफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में अपने परिवार से मिला। यह घटना कोटा पुलिस की मेहनत और समर्पण का उदाहरण है, जिन्होंने इतने सालों बाद मेघराज को उसके परिवार से मिलवाया। अब मेघराज की वापसी से सातलखेड़ी गांव में खुशियां लौट आई हैं।
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