आखिर क्यों इस महत्वपूर्ण योजना पर राजस्थान सरकार ने चला दी कैंची, 40 फ़ीसदी तक कम कर दी रकम

Published : Jul 08, 2025, 06:30 PM ISTUpdated : Jul 08, 2025, 06:54 PM IST
Bhajanlal Sharma

सार

Rajasthan Bhajan Government News : राजस्थान में दिव्यांग बच्चों के भत्तों में भारी कटौती से अभिभावक परेशान। परिवहन, एस्कॉर्ट, रीडर भत्ते में 40% तक की कमी। सरकार का दावा नीतिगत सुधार, लेकिन परिवारों पर बोझ बढ़ने की आशंका।

Rajasthan Bhajan Government Yojana : राजस्थान में विशेष आवश्यकता वाले छात्र-छात्राओं के लिए चलाई जा रही आर्थिक सहायता योजना में बदलाव कर भत्तों की राशि घटा दी गई है। भजनलाल सरकार ने इसे नई कार्य योजना के तहत लागू किया है, लेकिन इस फैसले से लाभार्थी परिवारों में नाराजगी है।

500 रुपए मिलते थे जिसे घटाकर किया 300

2024-25 तक इन बच्चों को जहां परिवहन भत्ते के रूप में 500 रुपये प्रति माह मिलते थे, वहीं अब इसे घटाकर 300 रुपये कर दिया गया है। इसी तरह एस्कॉर्ट भत्ता 400 से घटाकर 300 और रीडर भत्ता 250 से घटाकर 200 रुपये कर दिया गया है। स्टाइपेंड भत्ते को 200 रुपये पर स्थिर रखा गया है। सभी भत्ते साल में 10 माह के लिए ही मिलते हैं, जिससे कुल सालाना राशि में भारी कटौती हो जाएगी।

क्या है शिक्षा अभियान की नई वार्षिक कार्य योजना

राज्य शिक्षा परिषद के अनुसार, यह फैसला समग्र शिक्षा अभियान की नई वार्षिक कार्य योजना 2025-26 के तहत लिया गया है। इसका उद्देश्य विशेष बच्चों को मुख्यधारा में लाना और उनकी शिक्षा में सहयोग देना बताया गया है। यह योजना कक्षा 1 से 12 तक के सरकारी स्कूलों में लागू होगी।

अब कम भत्ता मिलने से बढ़ेगा बोझ

सरकार का दावा है कि योजना में बदलाव नीतिगत सुधार हैं, लेकिन वास्तविकता यह है कि आर्थिक सहायता कम होने से इन बच्चों की पढ़ाई और दैनिक चुनौतियों से लड़ना और कठिन हो जाएगा। पहले ही कई माता-पिता बच्चों को स्कूल भेजने के लिए निजी साधनों पर निर्भर रहते हैं। अब कम भत्ता मिलने से उनका बोझ और बढ़ेगा।

किन छात्रों को मिलता है इस योजना का लाभ

योजना का लाभ केवल उन्हीं छात्रों को मिलेगा जो सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं और जिनके पास चिकित्सकीय प्रमाण-पत्र सहित अन्य दस्तावेज हैं। स्कूल स्तर पर बनी समिति द्वारा भत्ते की स्वीकृति होगी, जिसमें कई नियम और प्रक्रियाएं तय की गई हैं। इस कटौती को लेकर शिक्षा से जुड़े संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सरकार से पुनर्विचार की मांग की है, ताकि ये बच्चे समान अवसरों से वंचित न रहें।

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