राजस्थान में जल, थल और आकाश के रास्ते भी वोटिंग हो रही है। यहां माउंट आबू की पहाड़ियों से लेकर बांसवाड़ा में नदी की बीच बसे गांव में भी इस बार बूथ बनाए गए हैं।
जयपुर। राजस्थान विधानसभा चुनाव में इस बार चुनाव आयोग ने नए प्रयोग किए हैं। इन प्रयोगों का एक ही मकसद है कि सभी वोटर्स वोट डालें और मतदान का प्रतिशत भी बढ़े। पिछले चुनाव में यहां 74 फीसदी मतदान रहा और इस बार इसे 85 फीसदी तक ले जाने की उम्मीद से काम हो रहा है। इस बार चुनाव आयोग ने ऐसी जगहों पर भी बूथ बनाए हैं ताकि वोटरों को आसानी हो सके। पहाड़ों पर रहने वालों के लिए अलग से बूथ बनाए हैं तो नदी किनारे बसे छोटे गांवों में भी बूथ बनाए हैं। ऐसे में जल, थल और नभ हर जगह बूथों पर वोटर पहुंच रहे हैं।
माउंट आबू में पहाड़ों पर शेरगढ़ गांव में बना बूथ
दरअसल इस बार पहली बार सिरोही जिले के माउंट आबू में पहाड़ों पर स्थित शेरगढ़ गांव में बूथ बनाया गया है। यह जमीन से करीब पांच हजार मीटर की उंचाई पर है और यहां पर जाने के लिए 18 किलोमीटर का कच्चा रास्ता है। यहां पर मतदान दल पैदल पहुंचा है मतदान सामग्री लेकर। यहां पर करीब एक सौ दस वोटर हैं। उम्मीद है कि सभी वोटर मतदान करेंगे। यह राजस्थान में सबसे उंचाई वाला बूथ है।
बागीदौरा विधानसभा सीट पर नदी पार कर आते हैं वोटर
राजस्थान के बांसवाड़ा जिले की बागीदौरा विधानसभा सीट पर तीन गांव के लोग भी वोट करने आते हैं। उनके बीच में नदी पड़ती है। उसे पार करने के लिए वे खुद ही नाव लेकर आते हैं। उसके बाद करीब तीन किलोमीटर पैदल चलते हैं और फिर वोट करने आते हैं। यह डोकर गांव के मालीपाड़ा क्षेत्र का मामला है जहां पर करीब पचास परिवार रह रहे हैं।
इसके विपरीत राजस्थान में करीब 52000 बूथ पर वोटिंग चल ही रही है। दो बूथ को छोड़कर सभी बूथ मरुभूमि पर ही बने हैं। सभी बूथों पर शाम
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