राजस्थान में ऐसा क्या हो गया जो दो आईएएस अफसरों को जेल की सजा, दो आईपीएस अफसरों को कोर्ट का बुलावा आया है। आखिर क्या है माजरा, आइए जानते हैं पूरा मामला।
जयपुर. राजस्थान के प्रशासनिक (administration of rajasthan) गलियारों में इन दिनों हलचल मची हुई है। एक ओर जयपुर वाणिज्यिक न्यायालय ने दो वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों को तीन.तीन माह के सिविल कारावास की सजा सुनाई है, तो दूसरी ओर राजस्थान उच्च न्यायालय (Rajasthan High Court) ने लापता नाबालिग लड़कियों के मामलों में दो जिलों के एसपी को तलब किया है।
जयपुर वाणिज्यिक न्यायालय क्रम.1 ने सार्वजनिक निर्माण विभाग पीडब्ल्यूडी के अतिरिक्त मुख्य सचिव प्रवीण गुप्ता और जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग पीएचईडी के एसीएस भास्कर ए सावंत को ठेकेदारों को बकाया भुगतान न करने और अदालती आदेशों की अवहेलना करने के आरोप में तीन.तीन माह के कारावास की सजा सुनाई है। गुप्ता पर नागौर.मुकुंदगढ़ हाईवे प्राइवेट लिमिटेड को बोनस भुगतान न करने का आरोप है, जबकि सावंत पर एल एंड टी कंपनी को पाइपलाइन प्रोजेक्ट के लिए 31 करोड़ रुपये का भुगतान न करने का आरोप है। दोनों अधिकारियों ने इस फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी है, जहाँ सोमवार को सुनवाई होगी।
लापता बालिकाओं के मामले में एसपी तलब उधर राजस्थान उच्च न्यायालय ने दो अलग-अलग मामलों में लापता नाबालिग लड़कियों की बरामदगी नहीं होने पर बारां और झुंझुनू जिले के पुलिस अधीक्षकों को तलब किया है। अदालत ने बारां एसपी राजकुमार चौधरी को 7 अप्रैल और झुंझुनू एसपी शरद चौधरी को 8 अप्रैल को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया है। अदालत ने पुलिस की रिपोर्ट पर असंतोष व्यक्त करते हुए दोनों अधिकारियों से लापता बालिकाओं की तलाश में की गई कार्रवाई की जानकारी मांगी है। अदालत ने दोनों मामलों में पुलिस की जांच प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं और अधिकारियों से लापता बालिकाओं की जल्द बरामदगी सुनिश्चित करने के लिए सख्त कदम उठाने को कहा है। इन घटनाओं ने राजस्थान में प्रशासनिक और कानूनी प्रक्रियाओं की पारदर्शिता और जवाबदेही पर सवाल खड़े कर दिए हैं।