झालावाड़ हादसे पर हाईकोर्ट ने सरकार से किए ये 3 सवाल, मांगी डिटेल रिपोर्ट

Published : Jul 28, 2025, 07:15 PM IST
Jhalawar school collapse kills 6 children

सार

Rajasthan High Court News : राजस्थान में स्कूल हादसों के बाद अब राजस्थान हाई कोर्ट ने बच्चों की सुरक्षा  को ध्यान में रखते हुए इस गंभीर मामले में संज्ञान लिया है। सरकार से तीन सवाल करते हुए डिटेल में रिपोर्ट मांगी है। 

Rajasthan School Accident : राजस्थान में सरकारी स्कूलों की बदहाली अब सिर्फ सामाजिक चिंता नहीं, बल्कि न्यायिक मुद्दा भी बन चुकी है। झालावाड़ जिले में 25 जुलाई को स्कूल भवन गिरने से सात मासूम बच्चों की मौत के बाद पूरा प्रदेश स्तब्ध है। इसी बीच जैसलमेर में स्कूल गेट गिरने से एक छात्र की जान चली गई और एक शिक्षक गंभीर रूप से घायल हो गया। इन घटनाओं ने सरकारी तंत्र की लापरवाही और शिक्षा प्रणाली की नींव की कमजोरियों को बेनकाब कर दिया है।

हाईकोर्ट ने राजस्थान के इन विभागों से मांगी रिपोर्ट

 राजस्थान हाई कोर्ट ने बच्चों की सुरक्षा और शिक्षा के बुनियादी अधिकारों को ध्यान में रखते हुए इस गंभीर मामले में स्वतः संज्ञान लिया है। न्यायमूर्ति अनुप चंद्रा डुंडी की एकलपीठ ने केंद्र सरकार, राजस्थान सरकार, मुख्य सचिव, शिक्षा विभाग के एसोसिएट सचिव, महिला एवं बाल विकास विभाग और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग से इस पर विस्तृत जवाब मांगा है।

राजस्थान हाईकोर्ट ने सरकार से पूछे ये तीन सवाल?

अदालत ने स्पष्ट पूछा है कि प्रदेश में जर्जर स्कूल भवनों को सुधारने के लिए अब तक क्या कदम उठाए गए हैं?  भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों, इसके लिए क्या ठोस योजना तैयार की गई है? हाईकोर्ट ने कहा कि बच्चों के जीवन और शिक्षा के अधिकार के साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता।

तीन माह में किन-किन भवनों की मरम्मत की जाएगी?

इस याचिका में अदालत ने संबंधित विभागों से यह भी स्पष्ट करने को कहा है कि कितने स्कूल जर्जर श्रेणी में हैं, उनकी सूची, वर्तमान स्थिति और अगले तीन माह में किन-किन भवनों की मरम्मत की जाएगी, इसकी रिपोर्ट पेश की जाए।

कब तक बच्चे जर्जर दीवारों के साए में पढ़ाई करते रहेंगे?

  • विशेष बात यह है कि अदालत ने इस मामले को “अत्यंत प्राथमिकता” पर सुनने की बात कही है और जवाब दाखिल करने के लिए समय सीमा भी निर्धारित की है। यह अपने आप में दर्शाता है कि राजस्थान की न्यायपालिका अब बच्चों की सुरक्षा को गंभीरता से ले रही है।
  • इन घटनाओं के बाद यह सवाल और गहराता जा रहा है कि आखिर कब तक बच्चे जर्जर दीवारों के साए में पढ़ाई करते रहेंगे? और क्या यह हादसे ही होंगे जो सिस्टम को जागृत करेंगे?
  • अब यह देखना बाकी है कि सरकार और प्रशासन हाईकोर्ट की इस सख्ती के बाद कितनी तेजी और ईमानदारी से कार्रवाई करता है।

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