
Rajasthan School Accident : राजस्थान में सरकारी स्कूलों की बदहाली अब सिर्फ सामाजिक चिंता नहीं, बल्कि न्यायिक मुद्दा भी बन चुकी है। झालावाड़ जिले में 25 जुलाई को स्कूल भवन गिरने से सात मासूम बच्चों की मौत के बाद पूरा प्रदेश स्तब्ध है। इसी बीच जैसलमेर में स्कूल गेट गिरने से एक छात्र की जान चली गई और एक शिक्षक गंभीर रूप से घायल हो गया। इन घटनाओं ने सरकारी तंत्र की लापरवाही और शिक्षा प्रणाली की नींव की कमजोरियों को बेनकाब कर दिया है।
राजस्थान हाई कोर्ट ने बच्चों की सुरक्षा और शिक्षा के बुनियादी अधिकारों को ध्यान में रखते हुए इस गंभीर मामले में स्वतः संज्ञान लिया है। न्यायमूर्ति अनुप चंद्रा डुंडी की एकलपीठ ने केंद्र सरकार, राजस्थान सरकार, मुख्य सचिव, शिक्षा विभाग के एसोसिएट सचिव, महिला एवं बाल विकास विभाग और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग से इस पर विस्तृत जवाब मांगा है।
अदालत ने स्पष्ट पूछा है कि प्रदेश में जर्जर स्कूल भवनों को सुधारने के लिए अब तक क्या कदम उठाए गए हैं? भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों, इसके लिए क्या ठोस योजना तैयार की गई है? हाईकोर्ट ने कहा कि बच्चों के जीवन और शिक्षा के अधिकार के साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता।
इस याचिका में अदालत ने संबंधित विभागों से यह भी स्पष्ट करने को कहा है कि कितने स्कूल जर्जर श्रेणी में हैं, उनकी सूची, वर्तमान स्थिति और अगले तीन माह में किन-किन भवनों की मरम्मत की जाएगी, इसकी रिपोर्ट पेश की जाए।
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