
अगर सरकारी रिकॉर्ड में हमें मृत घोषित कर दिया जाए तो क्या होगा? राजस्थान के एक व्यक्ति के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है. 37 वर्षीय शंकर सिंह रावत और उनके दो बच्चों को सरकारी रिकॉर्ड में मृत घोषित कर दिया गया है.
इस वजह से, उन्हें सरकार से मिलने वाले सभी लाभ नहीं मिल पा रहे हैं. इतना ही नहीं, उनके कोई भी कानूनी काम भी नहीं हो पा रहे हैं. शंकर पाली जिले के मारवाड़ जंक्शन तहसील के सारण गांव के रहने वाले हैं. 2022 में, जब वह किसानों के लिए कल्याणकारी योजना, किसान सम्मान निधि के लिए आवेदन करने के लिए सरकारी शिविर में गए, तो उन्हें अपनी 'मौत' के बारे में पता चला.
हैरानी की बात यह थी कि रिकॉर्ड में न केवल उन्हें, बल्कि उनकी बेटी और बेटे को भी मृत घोषित कर दिया गया था. उस दिन से, शंकर एक के बाद एक सरकारी कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं, ताकि वह खुद को और अपने बच्चों को जीवित साबित कर सकें.
कलेक्टर और एसडीएम के कार्यालयों में जाने के बावजूद, उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिलता रहा, लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ. उनके जन आधार कार्ड में शंकर और उनके तीन बच्चों को मृत के रूप में दर्ज किया गया है. इसलिए, उन्हें सरकार से कोई भी लाभ नहीं मिल रहा है.
शंकर सिंह रावत ने 2010 में शादी की थी. उनके तीन बच्चे हैं. उनकी माँ, पत्नी और बच्चे गाँव में ही रहते थे. कुछ साल पहले वह एक मार्बल फैक्ट्री में काम करने के लिए आबू रोड शिफ्ट हो गए थे. उस दौरान उनकी पत्नी ने किसी और से शादी कर ली और छोटे बेटे को अपने साथ ले गई.
शंकर का आरोप है कि संपत्ति विवाद के बाद, उनकी पत्नी ने ई-मित्र संचालक के साथ मिलकर उनके जन आधार कार्ड में उन्हें मृत घोषित करवा दिया. उन्होंने तत्कालीन सरपंच के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर जिला कलेक्टर से भी संपर्क किया है. हालांकि, अभी तक कुछ भी हल नहीं हुआ है. वह अभी भी रिकॉर्ड में मृत हैं.
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