क्या है AIBE का चक्कर? जिसके कारण राजस्थान में वकीलों की प्रैक्टिस पर लगाई रोक

Published : Mar 20, 2025, 07:52 PM IST
 Rajasthan many lawyers banned

सार

What is AIBE exam : राजस्थान से बड़ी खबर आई है, जहां बार कौंसिल ऑफ़ इंडिया ने सैकड़ो वकीलों की प्रैक्टिस पर रोक लगा दी है। इनके के लिए AIBE परीक्षा अनिवार्य कर दी है।

जयपुर: बार काउंसिल ऑफ इंडिया (Bar Council of India) के नए निर्देशों के तहत, राजस्थान में सैकड़ों वकीलों की प्रैक्टिस पर रोक (Rajasthan many lawyers banned) लगा दी गई है। जिन अधिवक्ताओं ने 1 जुलाई 2010 के बाद एलएलबी पूरी की और दो वर्षों के भीतर अनिवार्य अखिल भारतीय बार परीक्षा (AIBE) पास नहीं की, वे अब अदालत में पैरवी नहीं कर सकेंगे। इस फैसले का असर पूरे राज्य में देखने को मिल रहा है, जिसमें सीकर और झुंझुनूं जैसे जिलों के सैकड़ों अधिवक्ता प्रभावित हुए हैं।

राजस्थान में क्यों AIBE परीक्षा अनिवार्य

क्यों हुई कार्रवाई? बार काउंसिल ऑफ इंडिया के नियमानुसार, किसी भी नए वकील के लिए AIBE परीक्षा पास करना अनिवार्य है। इस परीक्षा के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाता है कि अधिवक्ता न्यूनतम कानूनी योग्यता रखते हैं। हालांकि, कई वकीलों ने इस परीक्षा को निर्धारित समय सीमा के भीतर पास नहीं किया, जिसके चलते बार काउंसिल ऑफ राजस्थान ने उनकी प्रैक्टिस पर रोक लगाने का निर्णय लिया।

सीकर और झुंझुनूं के वकीलों पर असर

  • सीकर जिले में 656 वकीलों और झुंझुनूं में 236 अधिवक्ताओं को डी-बार कर दिया गया है। यह सूची संबंधित जिला न्यायालय परिसरों में सार्वजनिक कर दी गई है। इससे जिले में हड़कंप मच गया है, क्योंकि कई ऐसे वकील भी इस सूची में शामिल हैं जो 10-15 वर्षों से प्रैक्टिस कर रहे थे।
  • डी-बार किए गए अधिवक्ताओं को अब पुनः AIBE परीक्षा पास करनी होगी। इसके बिना वे अदालत में वकालत नहीं कर पाएंगे। बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने इस मामले में बार काउंसिल ऑफ राजस्थान से परामर्श मांगा है और उचित समाधान की मांग की है।

वरिष्ठ अधिवक्ताओं की प्रतिक्रिया 

  • कई वरिष्ठ अधिवक्ताओं का मानना है कि वर्षों से प्रैक्टिस कर रहे वकीलों के लिए विशेष छूट मिलनी चाहिए। उनका कहना है कि बार काउंसिल को इस नियम को लागू करने से पहले स्पष्ट दिशानिर्देश देने चाहिए थे ताकि कोई भी अधिवक्ता असमंजस में न रहे।
  • बार काउंसिल ऑफ इंडिया का यह फैसला कानूनी पेशे में गुणवत्ता बनाए रखने के उद्देश्य से लिया गया है। हालांकि, इससे प्रभावित वकीलों के सामने अब बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। आगामी दिनों में इस फैसले पर कोई रियायत मिलती है या नहीं, यह देखना दिलचस्प होगा।

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