
Rajasthan Weather Report : पश्चिमी राजस्थान के खेतों में इस बार हरियाली नहीं, बल्कि सूखे की पीड़ा पसरी हुई है। सावन का महीना जो हर साल किसान के लिए राहत और उम्मीदें लेकर आता है, इस बार बदरंग और बेरहम साबित हो रहा है। जालोर जिले के सांचौर, चितलवाना और बागोड़ा जैसे इलाकों में जुलाई के बाद से बारिश न के बराबर हुई है, जिससे किसानों की मेहनत पर पानी फिरता नजर आ रहा है। यहां की खेती आज भी पूरी तरह मानसून पर निर्भर है। जून के आखिरी सप्ताह और जुलाई की शुरुआत में कुछ इलाकों में हल्की बारिश हुई थी, जिससे किसानों ने बीज बो दिए थे।
राजस्थान में जलप्रलय के बाद भी इन इलाकों में बादलों ने दूरी बना ली। अब खेतों में खड़ी बाजरा, मोठ, मूंग, तिल और ग्वार जैसी फसलें मुरझाने लगी हैं। कई जगहों पर तो जमीन में दरारें पड़ चुकी हैं और चारागाह भी सूखने लगे हैं। खेती से जुड़े किसान हर रोज़ सुबह उम्मीद लेकर खेतों का रुख करते हैं, लेकिन हकीकत उन्हें मायूस कर देती है। किसान रामाराम मेघवाल बताते हैं, “हर साल भगवान भरोसे खेती होती है, पर इस बार तो आसमान ने बिल्कुल ही मुंह फेर लिया है। खेतों में जो हरियाली दिखती थी, अब वह भी गायब हो रही है।
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