
Rajasthan Women Empowerment Schemes: क्या आपने कभी सोचा है कि राजस्थान की ग्रामीण महिलाएं, जो कभी सिर्फ घर और खेत तक सीमित थीं, आज करोड़ों के बिज़नेस चला रही हैं, ड्रोन ऑपरेट कर रही हैं और डिजिटल तकनीक में माहिर बन रही हैं? यह कहानी है राजस्थान सरकार की महिला सशक्तिकरण योजनाओं की, जिन्होंने न सिर्फ महिलाओं का जीवन बदला है बल्कि पूरे राज्य की अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की सोच साफ है-“बेटियों की शिक्षा और महिला सशक्तिकरण ही समाज के सर्वांगीण विकास की कुंजी है।”
राजस्थान आज महिला आर्थिक सशक्तिकरण योजनाओं के मामले में देश का रोल मॉडल बन गया है। स्वयं सहायता समूहों (Self Help Groups) के जरिए, जहां ग्रामीण महिलाओं को उद्यमिता के अवसर मिले, वहीं लखपति दीदी योजना, महिला निधि ऋण योजना, पेंशन योजनाएं, प्रधानमंत्री उज्जवला योजना, मुख्यमंत्री रसोई गैस सब्सिडी जैसी योजनाओं ने उन्हें वित्तीय स्वतंत्रता दिलाई। राज्य में 5.26 लाख से ज्यादा ग्रामीण परिवार इन योजनाओं से लाभान्वित हो चुके हैं। ड्रोन ट्रेनिंग से लेकर कृषि नवाचार तक, राजस्थान सरकार की यह क्रांति सिर्फ योजनाओं तक सीमित नहीं, बल्कि यह “सशक्त महिला, सशक्त समाज” की दिशा में एक ठोस कदम है।
राजस्थान में 40,320 स्वयं सहायता समूह (SHGs), 3,156 ग्राम संगठन, और 99 संकुल स्तरीय संगठन सक्रिय हैं। इन समूहों के जरिए महिलाओं को न सिर्फ बैंक लोन मिल रहे हैं, बल्कि वे बिज़नेस भी खड़ा कर रही हैं। अब तक 1.65 लाख SHGs को ₹3,987 करोड़ के बैंक ऋण उपलब्ध कराए गए हैं। राज्य सरकार ने महिला निधि ऋण योजना के अंतर्गत 27,563 समूहों को ₹366 करोड़ का फंड भी दिया। यह केवल आर्थिक मदद नहीं, बल्कि महिलाओं के लिए आर्थिक आत्मनिर्भरता का मार्ग है।
राजस्थान की लखपति दीदी योजना ने नई मिसाल कायम की है। इस योजना के अंतर्गत:
यह आंकड़े साबित करते हैं कि यह योजना महिलाओं को सिर्फ आत्मनिर्भर नहीं, बल्कि बिज़नेस लीडर बना रही है।
उज्ज्वला योजना और मुख्यमंत्री रसोई गैस सब्सिडी योजना के जरिए 67.97 लाख परिवारों को ₹450 में सिलेंडर उपलब्ध कराया गया। सिर्फ सितंबर 2024 से अप्रैल 2025 तक सरकार ने ₹421 करोड़ की सब्सिडी दी। यह ग्रामीण महिलाओं के जीवन को आसान बना रही है।
महिला उद्यमिता, डिजिटल कौशल विकास, कृषि तकनीक, पशुपालन और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का यह संगम राजस्थान को महिला सशक्तिकरण का राष्ट्रीय मॉडल बना रहा है। यह स्पष्ट है कि सरकार का लक्ष्य सिर्फ सहायता देना नहीं, बल्कि गांव-गांव महिला नेतृत्व को मजबूत करना है।
सोर्स: गिरीन्द्र नाथ झा, लेखक एवं स्वतंत्र पत्रकार
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