रक्षाबंधन और राजस्थान : जब मेवाड़ की रानी ने मुस्लिम शासक को बांधी राखी तो बदल गया इतिहास

Published : Aug 09, 2025, 09:57 AM IST
Raksha Bandhan

सार

Raksha Bandhan2025 : रक्षाबंधन के त्योहार को केवल भाई-बहन के प्रेम की मुहिम नहीं, बल्कि साहस, बलिदान और विश्वास का भी प्रतीक है। राजस्थान में रक्षाबंधन के दिन रानी कर्णावती की वीरगाथा गर्व से याद की जाती है। उन्होंने मुस्लिम शासक को अपना भाई बनाया था

RaniKarnavati Raksha Bandhan : रक्षाबंधन केवल भाई-बहन के रिश्ते का त्योहार नहीं है, बल्कि यह विश्वास, सम्मान और रक्षा के वचन का भी प्रतीक है। राजस्थान की धरती ने इस पर्व को एक ऐतिहासिक और अमर कहानी दी, जिसे आज भी लोग गर्व से याद करते हैं। यह कहानी है मेवाड़ की वीरांगना रानी कर्णावती और मुगल बादशाह हुमायूं की। साल 1530 में, राणा सांगा के निधन के बाद रानी कर्णावती मेवाड़ की गद्दी संभाल रही थीं। तभी गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह ने चित्तौड़ पर चढ़ाई कर दी। मेवाड़ की सेना संख्या और संसाधनों में कमजोर थी। हालात इतने गंभीर थे कि राज्य को बचाना लगभग नामुमकिन लग रहा था।

जब रानी कर्णावती ने हुमायूं को एक राखी भेजी

बुरे हालातों में रानी कर्णावती ने एक साहसिक और अनोखा कदम उठाया। उन्होंने मुगल बादशाह हुमायूं को एक राखी भेजी, सिर्फ धागा नहीं, बल्कि अपनी रक्षा के लिए भाई से किया गया निवेदन। भारतीय संस्कृति में राखी का मतलब है भरोसा और सुरक्षा, और रानी ने इसे निभाने का विश्वास हुमायूं पर जताया। हुमायूं को जब यह राखी मिली, तो वे गहरे प्रभावित हुए। उन्होंने इसे केवल एक राजनीतिक संदेश नहीं, बल्कि भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का आह्वान माना। उन्होंने तुरंत मेवाड़ की मदद के लिए अपनी सेना तैयार की। हालांकि वे समय पर नहीं पहुंच सके और बहादुर शाह ने चित्तौड़ पर कब्जा कर लिया।

हुमायूं ने चित्तौड़ जीतकर बहन को सौंपा

  • रानी कर्णावती ने चित्तौड़ की मर्यादा बचाने के लिए अन्य राजपूत रानियों के साथ जौहर कर लिया। लेकिन हुमायूं ने हार नहीं मानी। उन्होंने बहादुर शाह को हराकर चित्तौड़ को वापस जीता और राज्य को रानी के पुत्रों को सौंप दिया। 
  • यह घटना सिर्फ राजस्थान के इतिहास में ही नहीं, बल्कि पूरे भारत में रक्षाबंधन की सबसे अनोखी मिसाल बन गई। यह साबित करती है कि राखी का धागा केवल कलाई पर बंधने वाली सजावट नहीं, बल्कि साहस, बलिदान और अटूट विश्वास का प्रतीक है।
  • आज भी राजस्थान में रक्षाबंधन का त्योहार मनाते समय लोग रानी कर्णावती की इस वीरगाथा को याद करते हैं—एक ऐसी कहानी, जिसमें राखी ने इतिहास की दिशा बदल दी।

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