
RaniKarnavati Raksha Bandhan : रक्षाबंधन केवल भाई-बहन के रिश्ते का त्योहार नहीं है, बल्कि यह विश्वास, सम्मान और रक्षा के वचन का भी प्रतीक है। राजस्थान की धरती ने इस पर्व को एक ऐतिहासिक और अमर कहानी दी, जिसे आज भी लोग गर्व से याद करते हैं। यह कहानी है मेवाड़ की वीरांगना रानी कर्णावती और मुगल बादशाह हुमायूं की। साल 1530 में, राणा सांगा के निधन के बाद रानी कर्णावती मेवाड़ की गद्दी संभाल रही थीं। तभी गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह ने चित्तौड़ पर चढ़ाई कर दी। मेवाड़ की सेना संख्या और संसाधनों में कमजोर थी। हालात इतने गंभीर थे कि राज्य को बचाना लगभग नामुमकिन लग रहा था।
बुरे हालातों में रानी कर्णावती ने एक साहसिक और अनोखा कदम उठाया। उन्होंने मुगल बादशाह हुमायूं को एक राखी भेजी, सिर्फ धागा नहीं, बल्कि अपनी रक्षा के लिए भाई से किया गया निवेदन। भारतीय संस्कृति में राखी का मतलब है भरोसा और सुरक्षा, और रानी ने इसे निभाने का विश्वास हुमायूं पर जताया। हुमायूं को जब यह राखी मिली, तो वे गहरे प्रभावित हुए। उन्होंने इसे केवल एक राजनीतिक संदेश नहीं, बल्कि भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का आह्वान माना। उन्होंने तुरंत मेवाड़ की मदद के लिए अपनी सेना तैयार की। हालांकि वे समय पर नहीं पहुंच सके और बहादुर शाह ने चित्तौड़ पर कब्जा कर लिया।
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