'कोचिंग सिटी कोटा' में में छात्रों के बीच सुसाइड के बढ़ते मामलों के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अधिकारियों को ऐसे मामलों पर नजर रखने के लिए एक समिति बनाने का निर्देश दिया है।
कोटा. 'कोचिंग सिटी कोटा' में में छात्रों के बीच सुसाइड के बढ़ते मामलों के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अधिकारियों को ऐसे मामलों पर नजर रखने के लिए एक समिति बनाने का निर्देश दिया है। यह आदेश तब सामने आया है, जब कोटा में ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जामिनेशन (जेईई) और नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (एनईईटी) जैसी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों द्वारा आत्महत्या के मामले इस साल 22 तक पहुंच गए, जो पिछले 8 वर्षों में सबसे अधिक है।
कोचिंग सिटी कोटा में छात्रों की सुसाइड के बढ़ते केस, अशोक गहलोत सरकार का बड़ा कदम
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा, “पैनल का गठन हायर एजुकेशन के सेक्रेट्री भवानी देथा की देखरेख में किया जाएगा। कमेटी में कोचिंग संस्थानों के प्रतिनिधियों, अभिभावकों और डॉक्टरों सहित विभिन्न स्टॉकहोल्डर्स शामिल होंगे।” अशोक गहलोत ने अधिकारियों को 15 दिन में मामले पर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है।
बता दें कि मंगलवार(15 अगस्त) को वाल्मिकी जांगिड़ नाम के एक और छात्र ने सुसाइड कर लिया था। वो बिहार के गया जिले का रहने वाला थे। वाल्मिकी कोटा में संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) की तैयारी कर रहा था। उसकी मौत के बाद प्रशासन हरकत में आया और आत्महत्या के मामलों को रोकने के लिए हॉस्टल को छत के पंखों पर स्प्रिंग डिवाइस लगाने का आदेश दिया।
इस बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कोटा जिले में छात्रों के बीच आत्महत्या के बढ़ते मामलों पर चर्चा के लिए एक बैठक की अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि ऐसे (आत्महत्या) मामलों में और वृद्धि नहीं होनी चाहिए, सुधार का समय आ गया है।
अशोक गहलोत ने कहा-"हम युवा छात्रों को आत्महत्या करते नहीं देख सकते...यहां तक कि एक भी बच्चे की मौत दुर्भाग्यपूर्ण है और माता-पिता के लिए बहुत बड़ी क्षति है।''
कोटा में छात्रों के बीच सुसाइड: 9-10वीं के छात्रों को कोचिंग में प्रवेश की मनाही
अशोक गहलोत ने सुझाव दिया कि कक्षा 9वीं और 10वीं के छात्रों को कोचिंग संस्थानों में प्रवेश नहीं दिया जाना चाहिए, क्योंकि इससे उन पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है।
सीएम ने दो टूक कहा कि नौवीं और दसवीं कक्षा के छात्रों को कोचिंग संस्थानों में दाखिला दिलाकर आप एक तरह से अपराध कर रहे हैं। यह माता-पिता की भी गलती है। छात्रों को बोर्ड परीक्षाओं को पास करने और प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी करने का बोझ झेलना पड़ता है।
उल्लेखनीय है कि हर साल भारत के विभिन्न क्षेत्रों से हजारों छात्र प्रतिष्ठित भारतीय कॉलेजों में प्रवेश पाने का सपना लेकर कोटा पहुंचते हैं। लेकिन जिस तरह से यहां छात्रों के बीच सुसाइड के मामले बढ़ रहे हैं, उसने चिंता बढ़ा दी है।
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